Dehri Pujan Benefits: सनातन धर्म में तमाम तरह की परंपराएं और धारणाएं हैं. वर्षों से लोग मानते भी आए हैं. देहरी पूजन भी इनमें से एक है. हालांकि देहरी पूजन का कोई दिन विशेष नहीं है. लेकिन, शादी के बाद जब नई दुल्हन ससुराल आती है, तो उससे घर की दहलीज की पूजा कराई जाती है. ये परंपरा भी सदियों से चली आ रही है. लेकिन, इस बारे में शास्त्र क्या कहते हैं इस बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है.
उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिकांत मिश्र शास्त्री बताते हैं कि, दहलीज को घर का मुख्य स्थान माना जाता है. इसलिए घर बनवाते समय मुख्य द्वार पर देहरी जरूर बनवानी चाहिए. मान्यता है कि देहरी नकारात्मकता को घर में आने से रोकती है. साथ ही मां लक्ष्मी का घर में वास होता है.
दहलीज पूजा करने के लाभ क्या हैं?
ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र बताते हैं कि, देहरी पूजन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. ऐसे में सभी मांगलिक और शुभ कार्य संपन्न होते हैं. मान्यता है कि देहरी पूजा करने से सभी ग्रह शांत होते हैं और घर के वास्तु दोष भी दूर होते हैं.
क्यों जरूरी है देहरी की पूजा?
मान्यता है कि घर की देहरी में राहु का वास होता है ऐसे में देहरी पूजन से राहु का दुष्प्रभाव कम होता है. इसके अलावा, देहरी मां लक्ष्मी के आगमन का प्रवेश द्वार मानी जाती है, इसलिए शास्त्रों में दहरी पूजा करने का विधान है. ऐसे में यदि संभव हो तो घर की चौखट की रोज पूजा करें.
दुल्हन से क्यों कराई जाती देहरी पूजा?
शास्त्रों में शादी के बाद नई दुल्हन से दहलीज की पूजा करने का कारण बताया गया है. कहा जाता है कि, बहु लक्ष्मी मां लक्ष्मी का स्वरूप होती है. ऐसी स्थिति में यदि वह देहरी पूजा करती है तो घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है. इसके अलावा, देहरी पूजन से घर में सुख-समृद्धि आती है और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है.
देहरी पूजन के नियम?
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, देहरी की नियमित साफ-सफाई और गंगा जल का छिड़काव करें. इसके बाद फूलों से सजाएं और कुमकुम से तिलक करें. फिर सुबह या शाम उसके सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं. इस दौरान मां लक्ष्मी से आगमन की प्रार्थना करें. इससे घर में सुख-समृद्धि आ सकती है.
FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 10:27 IST
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