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Dev Prabodhini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है और इस दिन पूरे देश में कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. इस मौके पर दक्षिण भारत के कुछ ऐसे मंदिर हैं, जहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है और मंदिर में हरी पत्तेदार सब्जियां और मीठे पकवानों का भोग लगाया जाता है. आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में…

Dev Prabodhini Ekadashi 2025: प्रबोधिनी एकादशी पूरे भारत में भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के मंदिरों में पूरी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है. एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं और आज से ही हिंदू धर्म में शादी, मुंडन और गृहप्रवेश जैसे शुभ काम शुरू हो जाते हैं. वैसे तो पूरे देश में एकादशी के दिन मंदिरों में भव्य आयोजन होता है, लेकिन दक्षिण भारत में भगवान विष्णु को समर्पित कई मंदिर हैं, लेकिन एक मंदिर एकादशी को समर्पित है और उसे गुरुवायुर एकादशी मंदिर के नाम से ही जाना जाता है. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें…

गुरुवयूर मंदिर – केरल के तिरुच्चूर से लगभग 32 किलोमीटर दूर बसे शहर गुरुवयूर के प्रसिद्ध गुरुवयूर मंदिर में देवउठनी एकादशी के दिन विशेष अनुष्ठान होते हैं. प्रबोधिनी एकादशी को वहां गुरुवायुर एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, जो मंदिर के नाम जुड़ी है. गुरुवायुर का अर्थ है, भगवान श्री कृष्ण का बाल रूप. मंदिर में विराजमान प्रतिमा में भगवान विष्णु के चार हाथ हैं और हाथ में शंख, सुर्दशन च्रक, कमल और गदा है.

कहा जाता है कि जब द्वारका नगरी डूबी थी, तब प्रतिमा बहकर गुरुवयूर स्थान पहुंची थी. गुरु और वायु देवता ने मिलकर प्रतिमा को केरल में विराजमान किया और इसे गुरुवायुर का नाम दिया. एकादशी के मौके पर मंदिर पूरे दिन भक्तों के लिए खुला रहता हैं और 1 महीने पहले से मंदिर में अनुष्ठान, व्रत, पूजा-पाठ शुरू हो जाते हैं. एकादशी के मौके पर मंदिर में हरी पत्तेदार सब्जियां और मीठे पकवानों का भोग लगाया जाता है.

विट्ठल रुक्मिणी मंदिर – महाराष्ट्र में पंढरपुर में स्थापित विट्ठल रुक्मिणी मंदिर भगवान विष्णु और भक्त की भक्ति को समर्पित मंदिर है. इस मंदिर में भी एकादशी के मौके पर रात भर भजन-कीर्तन चलता है. भगवान विष्णु को नींद से जगाने के लिए भक्त पूरे दिन मंदिर में विशेष अनुष्ठान करते हैं और चंद्रभागा नदी के तट पर भगवान का स्मरण करते हैं. भगवान विष्णु को एकादशी के मौके पर हरी सब्जियां, सूजी का हलवा, चिवड़ा, मेवे और फलों का भोग लगता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु भक्त पुंडलिक की भक्ति और उनके अपने माता-पिता के प्रति सेवा भाव से बहुत प्रसन्न हुए थे. भगवान परम भक्त पुंडलिक से मिलने पहुंचे. भक्त पुंडलिक ने खुद भगवान को एक ईंट पर खड़े होकर इंतजार करने के लिए कहा था, क्योंकि वे अपने माता-पिता की सेवा में व्यस्त थे.

एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर – तमिलनाडु के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में पूरी श्रद्धा के साथ प्रबोधिनी एकादशी का त्योहार मनाया जाता है. यह मंदिर भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित है. एकादशी के मौके पर मंदिर को फूलों से सजा दिया जाता है और भक्त भगवान विष्णु और भगवान शिव का आशीर्वाद लेने आते हैं. एकादशी पर मंदिर में लक्ष्मी नारायण पूजा और आंवला अर्चना जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं.
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