Sun In 5th House Effects: जन्म कुंडली में सूर्य का स्थान व्यक्ति की आत्मा, आत्मविश्वास, पहचान और नेतृत्व क्षमता से जुड़ा होता है. जब सूर्य पांचवें भाव में होता है, तो यह स्थिति व्यक्ति को आकर्षक व्यक्तित्व, रचनात्मक सोच और नेतृत्व की मजबूत भावना देती है. पांचवां भाव बुद्धि, संतान, शिक्षा, प्रेम और रचनात्मकता का भाव माना जाता है. इस स्थान पर सूर्य का होना कई बार व्यक्ति को नाम और शोहरत दिलाने वाला बन जाता है. ऐसे लोग अक्सर आत्मविश्वासी, प्रभावशाली और दूसरों को प्रेरित करने वाले होते हैं. इन्हें स्पॉटलाइट में रहना पसंद होता है और अपने काम को पहचान दिलाने की तीव्र इच्छा रहती है. हालांकि, कभी-कभी इनका अहंकार या खुद को सबसे बेहतर समझने की प्रवृत्ति इनके रिश्तों और कामकाज में रुकावट डाल देती है. इस भाव में सूर्य रचनात्मक क्षेत्रों जैसे कला, शिक्षा, अभिनय, राजनीति या स्पोर्ट्स में सफलता का योग बनाता है, लेकिन अगर सूर्य कमजोर हो या अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो तो यह संतान सुख, प्रेम जीवन और निर्णय लेने की क्षमता में अड़चनें भी ला सकता है. आगे जानिए भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह से सूर्य के पांचवें भाव में होने से जुड़े सकारात्मक और नकारात्मक असर के साथ उसके उपाय भी.
1. रचनात्मक सोच और लीडरशिप:
इस भाव में सूर्य व्यक्ति को कल्पनाशील और लीडरशिप क्वालिटी से भर देता है. ऐसे लोग जहाँ भी रहते हैं, वहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं.
2. शिक्षा और ज्ञान में सफलता:
विद्यार्थी जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं, ये लोग पढ़ाई या किसी स्पेशलाइज्ड फील्ड में नाम कमा सकते हैं.
3. संतान से गौरव:
संतान इनकी जिंदगी में सम्मान और खुशी लेकर आती है. अक्सर बच्चे भी बुद्धिमान और प्रसिद्ध होते हैं.
4. शोहरत और पहचान:
सूर्य यहाँ व्यक्ति को भीड़ से अलग पहचान दिलाता है. मीडिया, फिल्म, पॉलिटिक्स, टीचिंग या मैनेजमेंट से जुड़े कामों में ये चमकते हैं.
5. सकारात्मक एनर्जी:
ये लोग हमेशा पॉजिटिव सोच रखते हैं और हर मुश्किल में समाधान ढूंढने की ताकत रखते हैं.
सूर्य पांचवें भाव के नकारात्मक प्रभाव
1. अहंकार और हठ:
कई बार आत्मविश्वास अहंकार में बदल जाता है. यह स्वभाव रिश्तों में टकराव और दूरियां ला सकता है.
2. संतान सुख में देरी या परेशानी:
अगर सूर्य अशुभ हो तो संतान सुख में रुकावटें या चिंताएँ रहती हैं. कभी-कभी संतान से मानसिक तनाव भी मिल सकता है.
3. प्रेम जीवन में संघर्ष:
इन लोगों का प्रेम जीवन कई बार उतार-चढ़ाव से भरा होता है. अहंकार या गलतफहमी रिश्ते बिगाड़ सकती है.
4. मानसिक बेचैनी:
सूर्य की तेज ऊर्जा कभी-कभी अंदर अस्थिरता या बेचैनी भी पैदा करती है, जिससे व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाता.
5. शारीरिक परेशानियां:
पेट या हृदय से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं, खासकर तब जब सूर्य राहु, शनि या केतु से पीड़ित हो.

सूर्य पांचवें भाव के उपाय
1. सूर्य नमस्कार करें:
रोज़ सुबह उगते सूर्य को जल अर्पित करें और “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें.
2. गुड़ और गेहूं का दान:
रविवार को गरीबों या मंदिर में गुड़, गेहूं या लाल वस्त्र का दान करना शुभ रहता है.
3. तांबे का कड़ा या अंगूठी पहनें:
सूर्य की ऊर्जा बढ़ाने के लिए तांबे का कड़ा या अंगूठी पहन सकते हैं (किसी ज्योतिष सलाह से).
4. सूर्य से जुड़े रंग अपनाएं:
रविवार के दिन लाल या केसरिया कपड़े पहनना और सकारात्मक सोच रखना लाभ देता है.
5. अहंकार पर नियंत्रण रखें:
विनम्रता और सहयोगी रवैया अपनाने से सूर्य के दोष शांत होते हैं और जीवन में संतुलन आता है.
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