Ganesh Chaturthi 2025 Puja Sthapana: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी है और यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चतुर्थी तिथि के दिन विघ्नहर्ता गणेशजी का प्राकट्य हुआ था. इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अराधना करने के साथ गजानन की स्थापना भी की जाती है. गणेशजी को विघ्नविनायक, प्रथम पूज्य और सिद्धिदाता कहा गया है. किसी भी शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा करने का विधान है ताकि कार्य बिना बाधा के पूर्ण हो. आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी का महत्व और 10 दिन चलने वाले इस उत्सव के बारे में…
गणेश चतुर्थी तिथि का महत्व
शास्त्रों में गणेश चतुर्थी को विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी की उपासना का परम पावन पर्व माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष, ऋण या जीवन में अड़चनों से मुक्ति पाने हेतु गणपति उपासना और गणेश चतुर्थी व्रत को श्रेष्ठ बताया गया है. इस दिन व्रत और गणेशजी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी क्षेत्र—धन, स्वास्थ्य, संतान, विवाह व कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. गणेश चतुर्थी पर विशेषकर चन्द्रदर्शन से बचना चाहिए अन्यथा कलंक या अपयश का भय रहता है (यह शास्त्र सम्मत नियम है).
गणेश चतुर्थी पर शुभ योग
दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर के 12 बजकर 22 मिनट से होकर 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. इस दिन रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी रहेगा.
रवि योग ज्योतिष में एक शुभ योग है. यह योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, 10वें और 13वें स्थान पर होता है. इस दिन आप किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं. निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित काम की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग तब बनता है जब कोई विशेष नक्षत्र किसी विशेष दिन के साथ आता है. मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है. इसका मुहूर्त 27 अगस्त की सुबह 5 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा.
10 दिन तक चलता है गणेश उत्सव
चतुर्थी तिथि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को शुरू होती है और 10 दिनों तक चलती है, जिसे अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त किया जाता है. यह त्योहार पूरे भारत में, विशेषकर महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, कर्नाटक और तेलंगाना में, बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान, लोग अपने घरों और सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियां स्थापित करते हैं.
इन 10 दिनों में, भगवान गणेश की मूर्ति की पूजा, मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन किए जाते हैं. लोग गणेश जी को उनके पसंदीदा मोदक और लड्डू का भोग लगाते हैं. दसवें दिन, भक्त गणेश जी की मूर्तियों को विसर्जन के लिए भक्तों की रैली ले जाते हैं और उन्हें नदी, समुद्र या तालाब में विसर्जित करते हैं. यह विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि भगवान गणेश अपने भक्तों के घरों से विदा लेकर अपने धाम लौट रहे हैं. यह त्योहार एकता, खुशी और आध्यात्मिकता का प्रतीक है.
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