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Why Small Ganpati Idol Is Kept: बड़ी और छोटी दोनों मूर्तियों का महत्व अलग-अलग होते हुए भी आपस में जुड़ा हुआ है. बड़ी मूर्ति उत्सव, आनंद और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक है, जबकि छोटी मूर्ति आस्था, विश्वास और स्थायी …और पढ़ें

बड़े गणपति के साथ छोटी मूर्ति स्थापित करने का महत्व
पंडितों और धर्मग्रंथों के अनुसार, बड़ी प्रतिमा का विसर्जन उत्सव के अंत में पूरे विधि-विधान के साथ किया जाता है. जब भक्त गणपति को विदाई देते हैं, तब छोटी मूर्ति को विसर्जित नहीं किया जाता बल्कि घर में ही स्थापित रखा जाता है. यह छोटी प्रतिमा इस बात का संकेत है कि बप्पा सिर्फ कुछ दिनों के मेहमान नहीं बल्कि घर के स्थायी सदस्य हैं. भक्तों के लिए यह विश्वास बेहद खास होता है कि चाहे बड़ी प्रतिमा को विदा कर दिया जाए लेकिन बप्पा की उपस्थिति हमेशा उनके साथ रहती है.
घर में बनी रहती है सकारात्मक ऊर्जा
माना जाता है कि छोटी गणपति मूर्ति घर में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखती है. बड़ी प्रतिमा के विसर्जन के बाद जब भक्त छोटी प्रतिमा की पूजा करते हैं, तो उन्हें यह एहसास होता है कि बप्पा अभी भी उनके घर में विराजमान हैं. इस प्रतिमा की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में सौभाग्य बढ़ता है. छोटी मूर्ति एक तरह से ऊर्जा का स्रोत बन जाती है, जिससे परिवार के सदस्यों को आत्मविश्वास और शांति मिलती है.
गणपति बप्पा के साथ लोगों का भावनात्मक जुड़ाव बहुत गहरा होता है. जब बड़ी प्रतिमा का विसर्जन होता है तो कई भक्त भावुक हो जाते हैं. ऐसे में छोटी मूर्ति उनके मन को संतुलित करती है. यह भक्तों को यह भरोसा देती है कि बप्पा कहीं गए नहीं हैं बल्कि घर में हमेशा मौजूद हैं. यह जुड़ाव ही लोगों को साल भर बप्पा की कृपा और आशीर्वाद का एहसास कराता है.
धार्मिक मान्यता और परंपरा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छोटी मूर्ति को विसर्जित न करना यह दर्शाता है कि बप्पा की कृपा हमेशा स्थायी है. बड़ी प्रतिमा का विसर्जन एक विधि है जिससे प्रकृति और पंचतत्वों में बप्पा को समर्पित किया जाता है. वहीं छोटी मूर्ति यह संदेश देती है कि बप्पा का आशीर्वाद हमेशा घर में बना रहेगा. यही वजह है कि हर साल गणेश स्थापना में दोनों प्रतिमाएं एक साथ रखी जाती हैं.
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https://hindi.news18.com/news/dharm/ganpati-puja-2025-why-is-a-small-idol-kept-with-a-big-ganpati-know-its-religious-significance-ws-ekl-9573577.html