Saturday, October 4, 2025
26 C
Surat

Gudi Padwa 2025: गुड़ी पड़वा को क्यों बांधी जाती है गुड़ी, ब्रह्माजी ने की सृष्टि की रचना, युधिष्ठर का तिलक, जानें पौराणिक महत्व


Last Updated:

Gudi Padwa 2025: महाराष्ट्र में लोग गुड़ी लगाते हैं, इसलिए इस पर्व को गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है. इस दिन गुड़ी पड़वा के साथ चैत्र न…और पढ़ें

गुड़ी पड़वा को क्यों बांधी जाती है गुड़ी, जानें पौराणिक महत्व

गुड़ी पड़वा को क्यों बांधी जाती है गुड़ी

हाइलाइट्स

  • गुड़ी पड़वा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है.
  • इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी.
  • मराठी समाज में गुड़ी का पूजन और ध्वज लगाते हैं.

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है और इस दिन से ही चैत्र माह की वासंतिक नवरात्रि की शुरुआत भी होती है. मान्यता है कि प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्माजी ने संसार का निर्माण किया था इसलिए इस दिन को नव संवत्सर यानी नए साल के रूप में भी मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा को नवसंवत्सर कहते हैं और दक्षिण भारत में उगादि और युगादि भी कहते हैं. मराठी समाज के लोग गुड़ी पड़वा को अपने घरों में गुड़ी बांधते हैं, जो कि एक ध्वज का प्रतीक होती है, वहीं अन्य समाज में इस दिन भगवा ध्वज लहराया जाता है. आइए जानते हैं इस दिन के बारे में खास बातें…

इसलिए मनाया जाता है गुड़ी पड़वा
मराठी समाज में इस दिन गुड़ी का पूजन करते हैं और उसको घर के द्वार, किसी ऊंची जगह या छत पर लगाया जाता है. साथ ही इस दिन घर के दरवाजे पर आम के पत्ते भी लगाए जाते हैं. गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें गुड़ी का अर्थ है विजय पताका और पड़वा का अर्थ है प्रतिपदा. लोक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीराम ने बाली के अत्याचार को खत्म किया था और धर्म की स्थापना की थी. बाली के अत्याचारों से मुक्त होकर आमजन लोगों ने घर घर में उत्सव मनाया था और गुड़ी यानी ध्वज लहराया था. आज भी महाराष्ट्र में घर के मुख्य द्वार पर गुड़ी लगाने की प्रथा चल रही है. इसलिए इस दिन को गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है.

कैसे लगाई जाती है गुड़ी
इस दिन सुबह पहले गुड़ी को सजाया जाता है. फिर एक बांस लेकर उसके ऊपर चांदी, पीतल या तांबे का उलटा कलश रखकर सुंदर कपड़े से सजाया जाता है. सजाना वाला कपड़ा ज्यादातर केसरिया रंग और रेशम का होता है. फिर गुड़ी को नीम की पत्तियां, आम की डंठल और लाल फूलों से साजया जाता है. फिर इसके घर के ऊंचे स्थान जैसे छत पर लगाया जाता है, ताकि उसे दूर से भी देखा जा सके. कुछ लोग घर के मुख्य द्वार, दरवाजे या खिड़कियों पर भी लगाते हैं.

ब्रह्माजी ने की थी सृष्टि की रचना प्रारंभ
गुड़ी पड़वा के दिन महाराष्ट्र में पूरन पोली और मीठी रोटी बनाई जाती है. ब्रह्म पुराण के अनुसार, चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी. साथ ही गुड़ी पड़वा के दिन ही महाभारत काल में युधिष्ठर का राजतिलक किया गया था. वहीं मालावा के नरेश विक्रमादित्य ने गुड़ी पड़वा के दिन ही शकों को हराकर विक्रम संवत की स्थापना की थी. इस बार विक्रम संवत 2082 की शुरुआत 30 मार्च 2025 दिन रविवार से हो रही है और समापन चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 19 मार्च 2026 दिन गुरुवार को होगा.

कब है गुड़ी पड़वा
प्रतिपदा तिथि का आरंभ – 29 मार्च, दोपहर 4 बजकर 29 मिनट से
प्रतिपदा तिथि का समापन – 30 मार्च, दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
उदिया तिथि को मानते हुए गुड़ी पड़वा का पर्व 30 मार्च दिन रविवार को मनाया जाएगा

गुड़ी पड़वा के दिन किए जाने वाली तीन परंपराएं हैं, जो इस पर्व के महत्व को बताती हैं.
पहली – गुड़ी की पूजा
दूसरी – नीम और मिश्री का सेवन
तीसरी – पकवान और पूरन पोली

गुड़ी पड़वा के दिन किए जाने वाले काम
1- नए साल का भविष्य फल जानना
2- तैल से स्नान करना
3- गुड़ी लगाना यानी ध्वजा लगाना
4– नीम के पत्ते खाना
5- चैत्र नवरात्रि का आरंभ और घटस्थापना

homedharm

गुड़ी पड़वा को क्यों बांधी जाती है गुड़ी, जानें पौराणिक महत्व


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/dharm/gudi-padwa-2025-know-importance-traditions-of-gudi-padwa-hindu-new-year-starts-on-gudi-padwa-and-history-of-gudi-padwa-essay-on-gudi-padwa-9138796.html

Hot this week

Topics

Kachi Dham travel guide। पवित्र मिट्टी कैंची धाम

Last Updated:October 04, 2025, 19:45 ISTKachi Dham Travel...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img