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हंस महापुरुष योग बृहस्पति की सही स्थिति से बनता है, जिससे शिक्षा, लेखन, समाज सेवा में सफलता, मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है. पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया.

हंस महापुरुष योग कैसे बनता है
ज्योतिषियों का मानना है कि हंस महापुरुष योग बृहस्पति ग्रह के प्रभाव से बनता है. यदि बृहस्पति कुंडली के प्रमुख भावों में अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण या स्वराशि में स्थित होता है, तो यह योग बनता है. विशेषकर यदि बृहस्पति प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में यानी कर्क राशि में या अपनी स्वराशि मीन राशि में हो, तो यह योग पूरी तरह से प्रभावी होता है. कुंडली में बृहस्पति की सही स्थिति ही यह तय करती है कि व्यक्ति को इस योग का पूरा लाभ मिलेगा या नहीं.
हंस महापुरुष योग के जबरदस्त परिणाम
इस योग का प्रभाव व्यक्ति की मान-प्रतिष्ठा और सामाजिक सम्मान पर दिखाई देता है. शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखने वाले इस योग के प्रभाव से बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं. प्रवचन देने वाले और समाज में मार्गदर्शन करने वाले लोग इस योग से लोकप्रिय और सम्मानित बनते हैं. व्यक्ति के बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है, जिससे लोग उनकी सलाह लेने आते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग का सर्वोत्तम फल 50 से 60 वर्ष की आयु में देखने को मिलता है.
यदि कुंडली में अन्य ग्रह जैसे शुक्र, चंद्र और बुध बृहस्पति पर दृष्टि डाल रहे हों, तो व्यक्ति असाधारण गुणों से संपन्न होता है. इस योग के प्रभाव में व्यक्ति शिक्षण, लेखन, वित्त, बैंकिंग, समाज सेवा, धर्म, ज्योतिष और अन्य वैदिक विद्याओं में रुचि रखता है. यह योग न सिर्फ करियर में सफलता दिलाता है, बल्कि व्यक्ति को समाज में प्रसिद्धि और सम्मान भी दिलाता है.
किन परिस्थितियों में योग का फल नहीं मिलता
हालांकि, हंस महापुरुष योग बनना पर्याप्त नहीं है. यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि या शत्रु राशि में हो, तो योग बनने के बावजूद व्यक्ति को इसका पूरा लाभ नहीं मिलता. ऐसी स्थिति में जीवन में कई अवसर अधूरे रह जाते हैं और व्यक्ति अपेक्षित सफलता नहीं पा पाता. इसलिए कुंडली में बृहस्पति की स्थिति और अन्य ग्रहों की दृष्टि का विश्लेषण करना जरूरी है
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https://hindi.news18.com/astro/astro-tips-how-to-formed-hans-mahapurush-yoga-in-kundali-know-its-power-and-benefits-ws-ekl-9570976.html