Hanuman Chalisa: मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित माना जाता है. इस दिन श्रद्धा से की गई पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा भर देता है. हनुमान जी को शक्ति, साहस और सेवा का प्रतीक माना जाता है. जब जीवन में डर, तनाव, रुकावट या मन की बेचैनी बढ़ने लगती है, तब हनुमान चालीसा एक मजबूत सहारा बनती है. इसमें लिखे चौपाई और दोहे मन को स्थिर करते हैं और आत्मबल को मजबूत करते हैं. कई लोग नियमित रूप से हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, लेकिन मंगलवार को इसके पाठ का असर और भी गहरा माना गया है. यही वजह है कि इस दिन मंदिरों में खास भीड़ देखने को मिलती है. अक्सर भक्तों के मन में यह सवाल आता है कि मंगलवार को हनुमान चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए, ताकि पूजा का पूरा फल मिल सके. कोई एक बार पढ़ता है, तो कोई कई बार. कुछ लोग मनोकामना पूरी होने के लिए निश्चित संख्या में पाठ करते हैं. असल में हनुमान चालीसा का असर केवल गिनती पर निर्भर नहीं करता, बल्कि विश्वास, मन की एकाग्रता और सच्ची भावना सबसे अहम होती है. फिर भी परंपराओं में अलग-अलग इच्छाओं के अनुसार पाठ की संख्या बताई गई है, जिन्हें जानकर भक्त अपने समय और क्षमता के अनुसार पाठ कर सकते हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
मंगलवार को हनुमान चालीसा कितनी बार पढ़ें?
1 बार पाठ
अगर आपके पास समय कम है या दिन बहुत व्यस्त रहता है, तो मंगलवार को एक बार हनुमान चालीसा पढ़ना भी लाभकारी माना जाता है. इससे मन शांत होता है और दिन भर सकारात्मक सोच बनी रहती है.
7 बार पाठ
मंगलवार को सात बार हनुमान चालीसा पढ़ने की परंपरा काफी प्रचलित है. मान्यता है कि इससे काम में आ रही रुकावटें कम होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है. यह संख्या खास तौर पर उन लोगों के लिए ठीक मानी जाती है, जो जीवन में स्थिरता चाहते हैं.
11 या 21 बार पाठ
जिन लोगों को लगातार डर, असमंजस या नकारात्मक माहौल महसूस होता है, वे मंगलवार को 11 या 21 बार पाठ कर सकते हैं. माना जाता है कि इससे भीतर की कमजोरी दूर होती है और मन मजबूत बनता है.
108 बार पाठ
108 बार पाठ को सबसे विशेष माना गया है. यह संख्या बड़ी इच्छा या लंबे समय से चल रही परेशानी के लिए अपनाई जाती है. इसके लिए धैर्य, समय और पूरा ध्यान जरूरी होता है. सभी के लिए यह संभव न हो, लेकिन जो कर पाते हैं, उन्हें गहरी मानसिक शांति का अनुभव होता है.

हनुमान चालीसा पाठ के आसान नियम
-मंगलवार को स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें.
-हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं.
-लाल फूल या गुड़-चना अर्पित कर सकते हैं.
-पाठ करते समय मोबाइल या अन्य ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर रहें.
-सबसे जरूरी है सच्चा विश्वास और शांत मन.

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa)
॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुं लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै । कांधे मूंज जनेउ साजै ॥
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन । तेज प्रताप महा जगवंदन ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर संहारे । रामचन्द्र के काज संवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाए । श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते । कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना । राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना । लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हांक तै कांपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै । महावीर जब नाम सुनावै ॥२४
नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुडावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई । जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥
और देवता चित्त ना धरई । हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६
जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
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