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Spiritual Significance Of Shikha: हिंदू धर्म में सर पर चोटी या शिखा रखना एक गहरी परंपरा है, जिसमें वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण छिपे हैं. सही जगह, लंबाई और दिशा में चोटी रखने से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं. इसे सिर्फ दिखावे के लिए अपनाना गलत है. इसलिए चोटी रखने से पहले इसके नियमों और महत्व को समझना जरूरी है.
Spiritual Significance Of Shikha: हिंदू धर्म में अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने सर पर चोटी या शिखा रखते हैं. यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण भी हैं. चोटी का संबंध मस्तिष्क के संतुलन, ऊर्जा प्रवाह और मानसिक नियंत्रण से जुड़ा है. इसे सिर्फ धार्मिक नियम मान लेना गलत होगा. प्राचीन ऋषि-मुनियों ने सोच-समझकर इस प्रथा को अपनाया था, ताकि व्यक्ति का ध्यान, बुद्धि और मन स्थिर रहे. आज भी कई लोग इसे सिर्फ रीति-रिवाज या फैशन मान लेते हैं, लेकिन सही जानकारी और पालन से ही इसका वास्तविक लाभ मिलता है.
हिंदू धर्म में चोटी या शिखा रखना सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं है. इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा गया है. सर के बीचों-बीच बाल काटकर जो बाल छोड़े जाते हैं, उन्हें चोटी कहते हैं. यह वह जगह है जहाँ मस्तिष्क का केंद्र होता है और इसे ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है. शिखा रखने से मस्तिष्क का संतुलन बना रहता है और शरीर व मन की गतिविधियों पर नियंत्रण मिलता है. प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों ने यह देखा कि सिर के बीचों-बीच शिखा रखने से ध्यान और योग की प्रक्रिया में मदद मिलती है. शिखा की लंबाई और आकार पर भी ध्यान दिया जाता था, ताकि यह ऊर्जा प्रवाह और चक्र को प्रभावित कर सके.
विज्ञान और शिखा
भौतिक विज्ञान के अनुसार, सिर के बीच में चोटी रखना शरीर और मस्तिष्क के बीच ऊर्जा संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. इसे सुषुम्ना नाड़ी से जोड़ा गया है, जो व्यक्ति के विकास और आध्यात्मिक चेतना के लिए महत्वपूर्ण है. यदि शिखा को सही जगह और सही लंबाई में रखा जाए, तो यह सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करती है और नकारात्मक प्रभावों से बचाती है.
कुछ ज्योतिषी मानते हैं कि यदि किसी की कुंडली में राहु या अन्य ग्रहों का असर बिगड़ा हुआ है, तो चोटी रखने से इसका असर कम किया जा सकता है. हालांकि, बिना सही ज्ञान और दिशा के छोटी रखना हानिकारक भी हो सकता है.
चोटी और जटाधारी में अंतर
प्राचीन काल में जो लोग कर्मकांड और संस्कार संपन्न करते थे, उन्हें चोटीधारी कहा जाता था. उनके सिर पर केवल चोटी होती थी. वहीं, जो धर्म शिक्षा और दीक्षा का कार्य करते थे, उन्हें जटाधारी कहा जाता था. समय के साथ समाज में यह अंतर धीरे-धीरे बदल गया. आजकल कई लोग फैशन के चलते लंबी चोटी रखते हैं, जो कि शास्त्रों के अनुसार सही नहीं है. केवल गुरु की स्थिति और सही दिशा में ही चोटी रखना लाभकारी माना गया है.
छोटी रखने के नियम
1. चोटी की सही जगह और लंबाई जानकर ही इसे रखें.
2. भोजन या स्नान के समय शिखा खोलनी चाहिए.
3. सिर और पैरों के ध्रुवों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए ही चोटी रखना चाहिए.
4. फैशन या दिखावे के लिए चोटी रखना नुकसानदेह हो सकता है.
चोटी रखने से केवल आध्यात्मिक लाभ नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और ऊर्जा का प्रवाह भी सही रहता है. इसे केवल रिवाज या सजावट मानकर न रखें.
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https://hindi.news18.com/news/dharm/why-hindu-people-keep-shikha-what-is-meaning-significance-and-benefits-of-choti-ws-ekl-9678210.html