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Jai dev Jai dev Jai Mangal Murti Arti : जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, भगवान गणेशजी की आरती से दूर होंगे सभी विघ्न


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जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती, दर्शनमात्रे मन कामनापुर्ती, जय देव, जय देव… भगवान गणेश की आरती करने से सभी कष्ट व बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में मंगल ही मंगल बना रहता है इसलिए भगवान गणेश क…और पढ़ें

जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, भगवान गणेशजी की आरती से दूर होंगे सभी विघ्न

भगवान गणेश का दर्शन
अगर सपने में भगवान गणेश का दर्शन होता है, तो यह एक विशेष प्रकार का सौभाग्य है. गणपति के दर्शन से यह संकेत मिलता है कि आपके जीवन में आने वाली सारी बाधाएं और कठिनाइयां दूर हो जाएंगी. जो काम लंबे समय से रुके हुए थे, वे अब पूरे होने की संभावना है. साथ ही, यह एक नए शुरूआत का भी संकेत हो सकता है.

हाइलाइट्स

  • गणेशजी की आरती से सभी कष्ट दूर होते हैं.
  • मंगलमूर्ति की वंदना से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं.
  • भगवान गणेश की आरती से जीवन में शुभ फल मिलते हैं.

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti: बुधवार के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की आरती करने से सभी अड़चन दूर हो जाती हैं और जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मंगलमूर्ति की वंदना करने से मन की सभी इच्छाएं पूरी होती है और जीवन में सभी दोष दूर होते हैं और संपन्नता आती है. आइए सभी मिलकर गणेशजी की आरती करते हैं.

जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापुर्ती
जय देव, जय देव
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुम केशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥
जय देव, जय देव
जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापुर्ती
जय देव, जय देव
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥
जय देव, जय देव
जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापुर्ती
जय देव, जय देव
घालीन लोटांगण, वंदिन चरण।
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे।
प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन।
भावें ओवाळिन म्हणे नामा॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्व मम देवदेव॥
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा,
बुध्दात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्।
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि॥
अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥
हरे राम हरे राम,
राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥
जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापुर्त
जय देव, जय देव।।

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जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, भगवान गणेशजी की आरती से दूर होंगे सभी विघ्न


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