Monday, October 6, 2025
29 C
Surat

Jupiter in Kendra। जन्म कुंडली में बृहस्पति कैसे बनता है जीवन की ढाल


Jupiter in Center : ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना महत्व बताया गया है, लेकिन जब बात आती है देवगुरु बृहस्पति की, तो यह ग्रह बाकी सभी ग्रहों के प्रभावों पर भारी पड़ जाता है. खासकर जब बृहस्पति जन्म कुंडली के केंद्र में बैठा हो, तब यह जातक के जीवन में ढाल बनकर काम करता है. पुराने समय से लेकर आज तक ज्योतिष के कई ग्रंथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि केंद्र में स्थित गुरु बृहस्पति जातक के जीवन से बुरे प्रभावों को खत्म कर देता है. मानसागरी ग्रंथ में भी इसका उल्लेख है कि जैसे सिंह अकेला हाथियों के झुंड को परास्त कर देता है, उसी तरह केंद्र में बैठा गुरु सभी दोषों और अशुभ योगों को निष्प्रभावी कर देता है. यह स्थिति जातक को धर्म, ज्ञान और सद्बुद्धि की ओर ले जाती है और उसके जीवन को स्थिरता प्रदान करती है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

केंद्र स्थान और उनका महत्व
जन्म कुंडली में चार भावों को केंद्र कहा गया है – पहला (लग्न), चौथा, सातवां और दसवां. इन भावों को जीवन का स्तंभ माना जाता है. यह चारों स्थान जीवन की दिशा और पहचान तय करते हैं. जब इन भावों पर कोई शुभ ग्रह बैठता है, तो जातक को मजबूत जीवनदृष्टि और सफलता मिलती है, लेकिन अगर इन स्थानों पर अशुभ ग्रह हों, तो जीवन में कठिनायां बढ़ सकती हैं.

अब सवाल यह है कि जब इन चार भावों में से किसी एक में गुरु बृहस्पति बैठता है तो क्या असर होता है? ज्योतिष के अनुसार, इस स्थिति में बृहस्पति जातक के जीवन की ढाल बनकर सभी अशुभ ग्रहों को कमजोर कर देता है.

गुरु बृहस्पति की शक्ति
गुरु बृहस्पति को ज्ञान, धर्म, नीति और सद्बुद्धि का प्रतीक माना गया है. यह ग्रह जिस भाव में बैठता है, उस भाव को पवित्र और मजबूत बना देता है. जब यह केंद्र में हो, तो जातक को सही-गलत की पहचान, निर्णय लेने की क्षमता और धार्मिक दृष्टिकोण मिलता है. इसका सीधा असर यह होता है कि व्यक्ति मुश्किल समय में भी गलत रास्ता नहीं चुनता और जीवन में उन्नति की ओर बढ़ता है.

दोष क्यों हो जाते हैं निष्फल?
कहा जाता है कि केंद्र में बैठा गुरु किसी भी कुयोग को खत्म कर देता है. इसका कारण है –

1. ज्ञान और धर्म से जुड़ाव: यह व्यक्ति को भ्रम और मोह से बचाता है.
2. गुरु की दृष्टि: इसकी दृष्टि जिन भावों पर पड़ती है, उन्हें शुद्ध और शक्तिशाली बना देती है.
3. नैतिक शक्ति: जातक को सच और न्याय के रास्ते पर चलने की ताकत मिलती है.

यही वजह है कि ज्योतिष में गुरु की दृष्टि को अमृतमय कहा गया है.
लेकिन हर स्थिति समान नहीं होती
हालांकि यह भी सच है कि केवल एक ग्रह से पूरी कुंडली का परिणाम तय नहीं किया जा सकता, अगर बृहस्पति नीच राशि में हो, शत्रु भाव में हो, या फिर शनि, राहु, केतु और मंगल जैसे ग्रहों से पीड़ित हो, तो इसकी शक्ति कम हो सकती है. ऐसे में केंद्र में होने के बावजूद इसका प्रभाव उतना प्रबल नहीं रहेगा. इसलिए वास्तविक फल जानने के लिए पूरी कुंडली का अध्ययन जरूरी होता है.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/astro/astro-tips-jupiter-in-kendra-according-to-astrology-know-its-remedies-effects-and-many-more-ws-kl-9702875.html

Hot this week

Topics

Vastu tips for wealth। धनवान बनने के वास्तु टिप्स

Vastu Tips For Wealth: हर इंसान चाहता है...

Money Magnet Pot। घर में धन लाने के उपाय

Last Updated:October 06, 2025, 15:00 ISTvastu Tips For...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img