Kalashtami December 2025 Date: दिसंबर की कालाष्टमी और मासिक जन्माष्टमी 11 दिसंबर गुरुवार को है. दृक पंचांग के अनुसार, पौष कृष्ण अष्टमी तिथि 11 दिसंबर दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 12 दिसंबर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. कालाष्टमी और जन्माष्टमी पूजा निशिता मुहूर्त में होती है, इसलिए व्रत 11 दिसंबर को रखा जाएगा. इस दिन पूजा के समय प्रीति योग बना है. पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि जिस तिथि को अष्टमी तिथि प्रबल होती है, उस दिन इसका व्रत किया जाता है.
कालाष्टमी पूजा मुहूर्त
पंचांग अनुसार, गुरुवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. कालाष्टमी के दिन प्रीति योग दिन में 11:40 ए एम से लेकर पूर्ण रात्रि तक है. कालाष्टमी पूजा के लिए निशिता मुहूर्त रात में 11:47 पी एम से लेकर देर रात 12:42 ए एम तक है.
काल भैरव की पूजा से मिटेंगे भय
कालाष्टमी का दिन काल भैरव को समर्पित है. इस दिन काल भैरव का पूजन करने मात्र से जातक के जीवन से भय, बाधा, और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है. विशेषकर रात्रि में भैरव चालीसा, भैरव स्तोत्र या ॐ कालभैरवाय नमः मंत्र का जाप करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं.
काल भैरव को उड़द दाल, काले तिल, और मिठाई का भोग लगाएं. साथ ही कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है क्योंकि कुत्ता काल भैरव का वाहन है. काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहते हैं.
जन्माष्टमी पूजा से मिटेंगे पाप
इसी के साथ ही इस तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर भगवान कृष्ण की पूजा करने से यश, कीर्ति, धन, ऐश्वर्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
दरअसल, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था, इसलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है. जन्माष्टमी का पूजन ज्यादातर रात में ही होता है, इसलिए मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 11 दिसंबर को ही मनाया जाएगा.
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