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Maha Shivratri 2025: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है, इस बार यह शुभ तिथि 26 फरवरी दिन बुधवार को है. महाशिवरात्रि का व्रत करने से सभी कष्ट व परेशानियों से मुक्ति म…और पढ़ें
महाशिवरात्रि पर पहली बार कर रहे हैं व्रत
हाइलाइट्स
- महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी को है.
- महाशिवरात्रि व्रत नियम, पूजा विधि और महत्व.
- पहली बार कर रहे हैं व्रत तो जानें नियम.
महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी दिन बुधवार को किया जाएगा, हर वर्ष यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए इस दिन को शिव और शक्ति के मिलन के रूप में भी मनाया जाता है. साथ ही इस दिन भगवान शिव पहली बार अग्नि स्तंभ यानी शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जो उनके निराकार स्वरूप को दर्शाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन जो व्रत करता है, उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हालांकि ज्यादातर लोग महाशिवरात्रि का व्रत करते हैं लेकिन अगर आप पहली बार महाशिवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो कुछ नियमों का इस व्रत में पालन करना आवश्यक माना जाता है. आइए जानते हैं पहली बार महाशिवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो किन नियमों का पालन करना चाहिए…
महाशिवरात्रि पूजा नियम
1- महाशिवरात्रि के दिन यानी बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें. पूरे दिन शिव का स्मरण या शिव पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करते रहें.
2- महाशिवरात्रि के दिन कुछ लोग निर्जला उपवास करते हैं तो कुछ फलहार पर रहते हैं. यह आपकी क्षमता पर निर्भर करता है आप निर्जला व्रत करते हैं या फिर फलहार. अगर आप निर्जला व्रत करते हैं तो ध्यान रखें कि पूरे दिन जल ग्रहण ना करें.
3- महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले प्रदोष काल में शिवलिंग की पूजा करने के बाद ही भोजन करें. वहीं जो लोग पूरी रात व्रत करते हैं तो वे चार प्रहरों की पूजा करने के बाद ही सूर्योदय के समय ही व्रत का पारण करें.
4- अगर आप पहली बार महाशिवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद का ग्रहण ना करें और ना ही कोई प्रसाद लगाएं. शिवलिंग पर लगे भोग का अंश चंडेश्वर पर जाता है.
महाशिवरात्रि पूजा विधि
1- महाशिवरात्रि पर स्नान ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और फिर पास के शिवालय में जाकर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, अक्षत, सफेद चंदन, दूध, दही आदि चीजें अर्पित करें. इसके बाद पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान करते रहें या शिव मंत्रों का जप करते रहें.
2- शिवालय के बाद एक चौकी की स्थापना करें और उसके ऊपर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा दें. फिर थोड़े से चावल रख दें और भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति, प्रतीमा या तस्वीर रख दें. अगर मूर्ति या तस्वीर ना हो तो शुद्ध मिट्टी से शिवलिंग बना लें. फिर गंगाजल से पूजा स्थल पर छिड़काव करें.
3- इसके बाद एक मिट्टी या कलश लें और उस पर स्वास्तिक बना दें. फिर कलश में थोड़ा गंगाजल और जल मिला लें और कलश में सुपारी, हल्दी की गांठ और एक सिक्का डाल दें. इसके बाद घी का दीपक जलाएं.
4- अब शिवलिंग पर सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, हल्दी, दूध, दही, बेलपत्र, कमलगट्टा, धतूरा, भांग, शहद, घी आदि अर्पित करें.
5- पूजा की चीजें शिवलिंग पर अर्पित करने के बाद शिव कथा का पाठ करें और कपूर से भगवान शिव की आरती करें. फिर प्रसाद का भोग लगाएं.
6- रात को जागरण अवश्य करें और इस दौरान आप शिव की स्तुति या शिव चालीसा का पाठ मंगलकारी रहेगा. शिव मंत्र आदि का जप कर सकते हैं. रात्रि जागरण में शिवजी की चार आरती का विधान जरूरी है.
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है और इस पर्व का भोलेबाबा के भक्त पूरे साल इंतजार करते हैं. इस दिन विधि विधान के साथ शिव पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी वजह से देशभर के शिवालय में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर पहली बार भगवान शिव अपने निराकार स्वरूप यानी शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. साथ ही इस दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी संपन्न हुआ था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सच्चे मन से व्रत रखकर पूजा अर्चना करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. साथ ही परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
February 25, 2025, 13:58 IST
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