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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि का पर्व आने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं. इस दिन भोलेनाथ की पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक और भोलेनाथ की पसंदिदा चीजें चढ़ाई जाती हैं.

महाशिवरात्रि 2025
हाइलाइट्स
- महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है.
- हीरे के शिवलिंग से आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.
- स्फटिक के शिवलिंग से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि का पावन पर्व आने वाला है और इस विशेष अवसर पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. शिवलिंग जो भगवान शिव का प्रतीक है, विभिन्न धातुओं से बना हो सकता है और प्रत्येक धातु का अपना विशेष महत्व और फल होता है. पंडित अनिल शर्मा बता रहे हैं कौन से धातु का शिवलिंग किस मनोकामना को पूर्ण करने में सहायक होता है.
हीरे से बने शिवलिंग: हीरे को सबसे कीमती और शक्तिशाली रत्न माना जाता है. हीरे से बने शिवलिंग की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है.
मोती के शिवलिंग: मोती को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और यह शांति और समृद्धि का कारक होता है. मोती के शिवलिंग की पूजा करने से रोगों का नाश होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है.
वैडूर्य के शिवलिंग: वैडूर्य एक बहुमूल्य रत्न है और इसे केतु ग्रह का प्रतीक माना जाता है. वैडूर्य के शिवलिंग की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और भय से मुक्ति मिलती है.
पद्मराग के शिवलिंग: पद्मराग को माणिक भी कहा जाता है और यह सूर्य का प्रतीक है. पद्मराग के शिवलिंग की पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है.
पोखराज के शिवलिंग: पोखराज को गुरु ग्रह का प्रतीक माना जाता है और यह ज्ञान और समृद्धि का कारक होता है. पोखराज के शिवलिंग की पूजा करने से सुख में वृद्धि होती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है.
इंद्रनील के शिवलिंग: इंद्रनील को शनि ग्रह का प्रतीक माना जाता है और यह न्याय और अनुशासन का कारक होता है. इंद्रनील के शिवलिंग की पूजा करने से यश की प्राप्ति होती है और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है.
मरकत के शिवलिंग: मरकत को बुध ग्रह का प्रतीक माना जाता है और यह बुद्धि और वाणी का कारक होता है. मरकत के शिवलिंग की पूजा करने से पुष्टि की प्राप्ति होती है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है.
स्फटिक से बने शिवलिंग: स्फटिक को सबसे शुद्ध और पवित्र रत्न माना जाता है. स्फटिक से बने शिवलिंग की पूजा करने से मनोरथ सिद्धि होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
चांदी के शिवलिंग: चांदी को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और यह शांति और समृद्धि का कारक होता है. चांदी के शिवलिंग की पूजा करने से राज्य अर्थात् कर्म क्षेत्र में वृद्धि होती है और व्यापार में सफलता मिलती है.
सुवर्ण के शिवलिंग: सुवर्ण को सूर्य का प्रतीक माना जाता है और यह तेज और ऊर्जा का कारक होता है. सुवर्ण के शिवलिंग की पूजा करने से सत्य लोक का सुख प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
तांबे के शिवलिंग: तांबे को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है और यह ऊर्जा और साहस का कारक होता है. तांबे के शिवलिंग की पूजा करने से पुष्टि और आयु में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है.
पीतल के शिवलिंग: पीतल को गुरु ग्रह का प्रतीक माना जाता है और यह ज्ञान और समृद्धि का कारक होता है. पीतल के शिवलिंग की पूजा करने से तुष्टि प्राप्त होती है और जीवन में संतोष का अनुभव होता है.
कांसे के शिवलिंग: कांसे को राहु ग्रह का प्रतीक माना जाता है और यह शक्ति और प्रभाव का कारक होता है. कांसे के शिवलिंग की पूजा करने से कीर्ति और यश की प्राप्ति होती है और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है.
लोहे के शिवलिंग: लोहे को शनि ग्रह का प्रतीक माना जाता है और यह न्याय और अनुशासन का कारक होता है. लोहे के शिवलिंग की पूजा करने से शत्रु का नाश होता है और भय से मुक्ति मिलती है.
शीशे के शिवलिंग: शीशे को शनि ग्रह का प्रतीक माना जाता है और यह दीर्घायु का कारक होता है. शीशे के शिवलिंग की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है.
एक अन्य मत के अनुसार:
सुवर्ण शिवलिंग: ब्रह्मस्व का परिहार और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
- गंधमय शिवलिंग: सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
- हाथीदांत के शिवलिंग: सेनापत्य की प्राप्ति होती है.
- धान आदि अन्न से बने शिवलिंग: पुष्टि, सुख और रोगनाश होता है.
- उर्द के आटे के शिवलिंग: स्त्री की प्राप्ति होती है.
- मक्खन के शिवलिंग: सुख की प्राप्ति होती है.
- गोबर के शिवलिंग: रोगनाश होता है.
- गुड के शिवलिंग: अनाज की प्राप्ति होती है.
- बांस के अंकुर से बने शिवलिंग: वंशवृद्धि होती है.
February 10, 2025, 17:53 IST
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