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Mamta Kulkarni: महामंडलेश्वर विवाद में फंसी ममता कुलकर्णी ने बताया, कैसे हासिल होती है ब्रह्म वि​द्या? कैसे मिलती है सिद्धि


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Mamta Kulkarni: ममता कुलकर्णी, जिन्हें अब श्रीयामाई ममता नंद गिरि कहा जाता है, किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने पर विवादों में हैं. उन्होंने टीवी शो में ब्रह्म विद्या और अष्टांग योग पर अपने विचार साझा किए.

ममता कुलकर्णी ने बताया, कैसे हासिल होती है ब्रह्म वि​द्या? कैसे मिलेगी सिद्धि

ममता कुलकर्णी ने खोला ब्रह्म वि​द्या का रहस्य!

हाइलाइट्स

  • ममता कुलकर्णी महामंडलेश्वर बनने पर विवादों में हैं.
  • उन्होंने ब्रह्म विद्या और अष्टांग योग पर विचार साझा किए.
  • मंत्रोच्चार का ब्रह्म विद्या से कोई लेना-देना नहीं.

ममता कुलकर्णी का किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनने से पैदा हुआ विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है. बाबा रामदेव, बागेश्वरधाम के पं​डित धीरेंद्र शास्त्री समेत कई लोगों ने उनको महामंडलेश्वर बनाने पर सवाल खड़े कर दिए हैं. महाकुंभ में ममता कुलकर्णी को विधि विधान से किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया है. उस दिन उनका नया नामकरण श्रीयामाई ममता नंद गिरि हुआ. तब से ममता कुलकर्णी श्रीयामाई ममता नंद गिरि हो गईं. इस विवाद के बीच ममता कुलकर्णी ने एक टीवी शो में अपनी साधना और अध्यात्म से जुड़े सवालों के जवाब दिए. उसी क्रम में ममता कुलकर्णी ने बताया कि ब्रह्म विद्या कैसे हासिल होती है? ब्रह्म विद्या की सिद्धि कैसे प्राप्त होती है?

ममता कुलकर्णी ने रजत शर्मा के टीवी शो आप की अदालत में महामंडलेश्वर विवाद और अपने अध्यात्म से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए. उनसे सवाल किया गया कि महामंडलेश्वर बनने वाले व्यक्ति के बारे में समझा जाता है कि उसने वेदों और शास्त्रों का अध्ययन किया होगा? अध्यात्म को समझा होगा. आपके बारे में ऐसा कुछ दिखता नहीं है? इस सवाल के जवाब में ममता कुलकर्णी ने गणेश मंत्र, गीता के मंत्र, ऋग्वेद के मंत्र, ब्रह्मा, विष्णु और शिव के मंत्रों का उच्चारण किया. उससे पहले उन्होंने कहा कि ऐसे चीजों के प्रदर्शन से घमंड बढ़ता है. लेकिन आपने कहा है तो इसका उच्चारण करती हूं.

कैसे हासिल होती है ब्रह्म वि​द्या?
इस सवाल के जवाब में ही ममता कुलकर्णी ने बताया कि मंत्रों का जाप या उच्चारण करने की जरूरत उनको होती है, जिनको मंदिरों का आचार्य या पंडित बनना होता है. इसका ब्रह्म वि​द्या की सिद्धि से कोई लेना-देना नहीं होता है. मंत्रोच्चार पंडितों के अभ्यास के लिए होता है. जिसे ब्रह्म वि​द्या कहते हैं, वह तो सब शब्दों को शांत कर देने के बाद ध्यान से प्राप्त होता है. अष्टांग योग से उसकी प्राप्ति होती है. इससे ही ब्रह्म विद्या सिद्ध की जाती है.

ब्रह्म वि​द्या की सिद्धि
ममता कुलकर्णी ने बताया कि ब्रह्म वि​द्या की सिद्धि के लिए आपको पहले ध्यान करना होगा. उसके लिए कठोर व्रत और उपवास रखने होंगे. उसके बाद जाकर कुंडलिनी शक्ति योग जागृत होती है, जिसे कुंडलिनी शक्ति कहते हैं, जो मूलधारा चक्र में होती है. ब्रह्म वि​द्या का मंत्र से कोई लेना-देना नहीं होता है. इस बीच उन्होंने कहा कि संत समाज उनको शास्त्रार्थ के लिए बुलाए.

क्या है अष्टांग योग?
पतंजलि के योग सूत्र में अष्टांग योग का वर्णन मिलता है. अष्टांग योग के 8 अंग होते हैं, जिसमें यम (संयम), नियम (पालन), आसन (मुद्रा), प्राणायाम (सांस लेना), प्रत्याहार (वापसी), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (ध्यान) और समाधि (अवशोषण) के बारे में बताया गया है. सच्चे योगी प्राणायाम से लेकर समाधि तक का अभ्यास आसन के माध्यम से करते हैं.

यम पांच प्रकार के होते हैं, जो सनातन धर्म का नैतिक आधार है. पांच यम में हिंसा न करना, सत्य बोलना, चोरी नहीं करन, ब्रह्मचर्य का पालन और लालच नहीं करना शामिल है.

ऐसे ही नियम मुख्यतया 5 हैं, लेकिन इसकी कुल संख्या 32 तक है. जो पांच नियम हैं, उसमें शौच यानि शुद्धता, संतोष, तपस्, स्वाध्याय और ईश्वरप्रणिधान शामिल हैं.

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ममता कुलकर्णी ने बताया, कैसे हासिल होती है ब्रह्म वि​द्या? कैसे मिलेगी सिद्धि


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