Masik Shivratri 2025 : हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है. हर महीने आने वाली यह तिथि भगवान शिव की भक्ति और साधना के लिए शुभ मानी जाती है. साल 2025 की आखिरी मासिक शिवरात्रि 18 दिसंबर को यानी आज मनाई जा रही है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. मान्यता है कि इस दिन पूरे मन से की गई पूजा से साल भर की नकारात्मकता दूर होती है और आने वाले समय के लिए सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर, सुबह से लेकर रात के विशेष समय तक भगवान शिव की आराधना करते हैं. यह दिन आत्मशुद्धि, संयम और श्रद्धा का प्रतीक है. मासिक शिवरात्रि उन लोगों के लिए खास मानी जाती है जो नियमित रूप से शिव पूजा करते हैं या जीवन में चल रही परेशानियों से राहत चाहते हैं. 18 दिसंबर की शिवरात्रि साल की अंतिम होने के कारण पुराने कष्टों को छोड़कर नए संकल्प लेने का अवसर भी देती है. सही विधि और सही समय पर की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं, ऐसी धार्मिक मान्यता है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
दिसंबर मासिक शिवरात्रि की तिथि और दिन
दृक पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 दिसंबर को तड़के 2 बजकर 32 मिनट से आरंभ होगी. यह तिथि 19 दिसंबर को प्रात: 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि और पूजा समय को देखते हुए दिसंबर की मासिक शिवरात्रि 18 दिसंबर, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी. यह दिन साल की अंतिम मासिक शिवरात्रि होने के कारण खास फलदायी माना जा रहा है.
शुभ योग और नक्षत्र का संयोग
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. यह योग सुबह 7 बजकर 8 मिनट से आरंभ होकर रात 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा. मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है. इसके साथ धृति योग प्रात:काल से दोपहर 3 बजकर 6 मिनट तक रहेगा, इसके बाद शूल योग प्रभावी होगा.
शिवरात्रि व्रत के दिन अनुराधा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर रात 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा. इसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र आरंभ होगा. इन योगों और नक्षत्रों का मेल पूजा, व्रत और जप के लिए अनुकूल माना जा रहा है.

सुबह की तैयारी और व्रत संकल्प
शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें. इसके बाद मन को शांत रखते हुए व्रत रखने का संकल्प लें. सूर्य देव को जल अर्पित करें और घर के पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें. व्रत के दौरान सात्विक विचार बनाए रखें और क्रोध या नकारात्मक सोच से दूर रहें.
शिवलिंग की पूजा विधि
-पूजा स्थान पर शिवलिंग या भगवान शिव की तस्वीर स्थापित करें.
-सबसे पहले पंचामृत तैयार करें, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाया जाता है.
-इस पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें. इसके बाद साफ जल से स्नान कराएं.
-अभिषेक के बाद बेलपत्र चढ़ाएं, ध्यान रखें कि पत्ता टूटा हुआ न हो.
-धतूरा, भांग, फूल और फल भी अर्पित करें.
-घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती दिखाएं.
-यह क्रम श्रद्धा और नियम के साथ पूरा करें.
मंत्र जाप और दिनभर का आचरण
पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें.
श्रद्धालु चाहें तो शिव चालीसा या किसी सरल शिव स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं. दिनभर मन में शिव का स्मरण बनाए रखें. व्रत के दौरान फल, दूध या जल लिया जा सकता है. जरूरतमंदों के प्रति करुणा भाव रखें.

रात की विशेष पूजा और निशिता काल
शिवरात्रि की रात का समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. 18 दिसंबर की रात निशिता काल लगभग रात 11:51 बजे से 19 दिसंबर को 12:45 बजे तक रहेगा. इस समय शिव पूजा करने से विशेष फल मिलता है. इस दौरान शिव-पार्वती की आरती करें और शक्कर या फल का भोग लगाएं. पूजा के अंत में जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें और दान करें.
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं. राहु-केतु से जुड़ी परेशानियां कम होती हैं और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है. शिव कृपा से मानसिक शांति और आत्मबल भी बढ़ता है.
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