Navratri 2025 Day 9: नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है. यह दिन शक्ति उपासना की अंतिम कड़ी मानी जाती है, जब साधक मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा करके संपूर्ण नवरात्रि का फल प्राप्त करता है. मां सिद्धिदात्री को सिद्धियों की दात्री माना गया है और उनका पूजन हर प्रकार की कठिनाई, रुकावट और विघ्न को दूर करने वाला बताया गया है. इस लेख में जानिए मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का सही तरीका, उनसे जुड़े मंत्र, भोग और उनसे जुड़ी पौराणिक कथा. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं. उनके हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल रहता है. वे सिंह पर सवार रहती हैं. यह स्वरूप शक्ति और संतुलन का प्रतीक है. उनकी उपासना से व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती का संचार होता है.
पूजा कैसे करें?
-इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
-स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें.
-मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थान पर रखें.
-अब पुष्प, रोली, चावल, दीप, धूप, फल, मिठाई, नारियल और चुनरी आदि अर्पित करें.
-मंत्र जप करें और मां का ध्यान करें.
जप मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमः”
इस मंत्र को रुद्राक्ष की माला से 108 बार जपना श्रेष्ठ माना गया है.
भोग में क्या अर्पित करें?
मां को हलवा, पूड़ी और काले चने का भोग विशेष रूप से प्रिय है. इसके अलावा सफेद मिठाई, खीर या मौसमी फल भी अर्पित किए जा सकते हैं.
अन्य परंपराएं
-इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है. नौ छोटी कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराना और उन्हें उपहार देना अत्यंत शुभ माना गया है.
-दुर्गा सप्तशती का पाठ और अंत में हवन करना पूजा को पूर्णता देता है.
मां सिद्धिदात्री की कथा
मान्यता है कि जब महिषासुर के आतंक से देवता व्याकुल हुए, तब देवी के तेज से मां सिद्धिदात्री प्रकट हुईं. उन्होंने देवताओं को शक्ति और सिद्धियां प्रदान कीं. एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां की उपासना कर आठ प्रमुख सिद्धियां प्राप्त की थीं और बाद में वे अर्धनारीश्वर स्वरूप में प्रकट हुए.
पूजा का फल
मां सिद्धिदात्री की उपासना से व्यक्ति को मनचाही सफलता मिलती है. जो लोग पूरे नवरात्र व्रत नहीं रख पाते, उनके लिए नवमी का दिन विशेष होता है. इस दिन की पूजा से उन्हें पूरे नौ दिन का पुण्यफल प्राप्त होता है. मां की कृपा से जीवन में तरक्की, शांति और समृद्धि बनी रहती है.
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