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Navratri Ke Bad ke Niyam: नवरात्रि के बाद कलश, नारियल, पूजन और हवन सामग्री का क्या करें? जानें नियम और सावधानियां


Navratri Ke Bad ke Niyam : रामनवमी के पर्व के साथ चैत्र नवरात्रि का समापन हो चुका है. नवरात्रि के व्रत का पारण दसवीं की तिथि में किया जाता है. नवरात्रि के दौरान 9 दिन तक घरों में चौकी सजाई जाती है. जिस पर कलश,नारियल, गंगाजल,देवी की प्रतिमा सहित पान, सुपारी, पुष्प, भोग आदि अर्पित किया जाता है. व्रत के अंतिम दिन हवन करके कन्या पूजन आदि किया जाता है. इसके बाद नवरात्रि का व्रत पूर्ण माना जाता है.

पूजन सामग्री का क्या करें : नवरात्रि समाप्ति होने के बाद सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि नवरात्रि में प्रयोग की गई पूजन सामग्री और हवन के बाद बची हुई राख आदि सामग्री का क्या किया जाए. बहुत से लोग इसे गंगाजल अथवा पवित्र नदी में प्रवाहित करते हैं. तो कुछ घरों में यह सामग्री काफी समय तक रखी रहती है.

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नदी में विसर्जन न करें : नवरात्रि में प्रयोग की गई पूजन हवन सामग्री आदि चीजों का विसर्जन पवित्र नदियों में किया जाता था. अब समय के साथ धीरे-धीरे प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है की नदियां पहले से ही दूषित होती जा रही है. ऐसे में पवित्र नदियों में इस सामग्री को डालकर और दूषित न करें.

सामग्री कहां डालें : पूजन, हवन की सामग्री,नारियल आदि सभी चीजों को किसी वस्त्र में एकत्र करके उसे घर के दूर कहीं निर्जन स्थान पर जमीन पर गड्ढा खोदकर गाढ़ देना चाहिए.

कलश के नारियल का क्या करें : नवरात्रि के पश्चात जब कलश पर से नारियल उठाया जाएगा तो उसे नारियल को या तो परिवार के सभी सदस्यों में बताकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें अथवा उसे लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन स्थान में रख दें. इससे घर में धन की समस्या समाप्त होगी.

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कलश के जल का प्रयोग : नवरात्रि के पहले दिन जी कलश की स्थापना की गई उसे कलश के जल को अपने घर के हर कोने में छत और मुख्य द्वार पर छिड़कें और बचे हुए जल को तुलसी अथवा पीपल बरगद आदि की जड़ में डाल दें ध्यान रहे इस जल को बाथरूम और शौचालय में ना डालें.

सुपाड़ी, चावल और सिक्के का प्रयोग : कलश स्थापना के दौरान सुपारी चावल और एक सिक्के को भी रखा जाता है. नवरात्रि के पश्चात सिक्के को आप अपने पर्स में रख सकते हैं और सुपारी एवं चावल को अपनी तिजोरी में रखना चाहिए.


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https://hindi.news18.com/news/astro/astro-tips-navratri-puja-material-disposal-environmental-protection-tips-in-hindi-9157551.html

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