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Parivartini Ekadashi Vrat Katha 2025 : परिवर्तिनी एकादशी 3 सितंबर को रवि योग में है. परिवर्तिनी एकादशी को वामन एकादशी, जलझूलनी एकादशी और पद्मा एकादशी के नाम से जानते हैं. इस दिन व्रत रखकर पूजा करने से मोक्ष मिल…और पढ़ें

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि इस व्रत में पूजा के समय भगवान विष्णु के परम भक्त राजा बलि की कथा सुनते हैं. परिवर्तिनी एकादशी की व्रत कथा कुछ इस प्रकार से है-
राजा बलि के पराक्रम से भयभीत इंद्र समेत अन्य देव भगवान विष्णु के पास पहुंचे. उन्होंने श्रीहरि से प्रार्थना की कि वे बलि से मुक्ति दिलाएं. तब भगवान विष्णु ने अपना वामन अवतार लिया. वे राजा बलि के पास गए और उस समय वह प्रतिदिन की तरह यज्ञ और पूजा कर रहा था.
इस पर राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया. वामन देव ने अपना तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखा, जिससे वह पाताल लोक चला गया. उसकी भक्ति और निष्ठा को देखकर उसे आशीर्वाद दिया कि वे सदैव ही उसके पास रहेंगे. राजा बलि के आदेश पर भाद्रपद शुक्ल एकादशी को उसके आश्रम में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की गई. दूसरी मूर्ति क्षीर सागर में शेषनाग की पीठ पर स्थापित हुई.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक…और पढ़ें
कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक… और पढ़ें
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