सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष आरंभ हो जाता है. पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं. मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में घर के पूर्वज पितृ लोग से धरती लोक पर आते हैं. इस दौरान श्राद्ध और धार्मिक अनुष्ठान से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं. 18 सितंबर पूर्णिमा और प्रतिपदा श्राद्ध से ही पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाएगी और 2 अक्टूबर को समापन होगा. हर व्यक्ति अपने लिए इस श्राद्ध पक्ष में कुछ ऐसा करना चाहता है, जिससे उसके जीवन के कष्ट दूर हो जाएं और वह अपने कुंडली दोष से भी मुक्ति पा सके. आज हम उन लोगों के लिए कुछ उपाय बता रहे हैं जिनका मूलांक 1 है. मूलांक एक वाले जातक बिना कुंडली के भी यह उपाय प्रतिपदा श्राद्ध में कर सकते हैं.
आज हम आपको एक ऐसी टेक्निक बता रहे हैं जिससे श्राद्ध पक्ष में आपका भाग्योदय हो जाएगा. श्राद्ध पक्ष में अंकज्योतिष के अनुसार आप कीजिये उपाय.
मूलांक 1 और प्रतिपदा से संबंध
पंचांग की पहली तिथि को प्रतिपदा कहते हैं. यह तिथि मास में दो बार आती है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद. पूर्णिमा के बाद आने वाली प्रतिपदा को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा और अमावस्या के बाद आने वाली प्रतिपदा को शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा कहते हैं.
पंचांग अनुसार प्रतिपदा- अग्नयादि देवों का उत्थान पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होता है. अग्नि से संबंधित कुछ और विशेष पर्व प्रतिपदा को ही होते हैं. जिन जातकों का मूलांक 1 होता है, उनका स्वामी ग्रह सूर्य होता है और सूर्य को अग्नि तत्व का ग्रह माना जाता है. जिनका मूलांक 1 होता है उन जातकों को मूलांक एक से संबंधित उपाय श्राद्ध पक्ष की प्रतिपदा तिथि में करना चाहिए.
जातक पर होते हैं अनेक प्रकार के ऋण
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अनेकों तरह के ऋण रह जाते हैं जैसे ऋषि ऋण, मातृ ऋण, देव ऋण, पितृ ऋण, पर्यावरण ऋण.
मूलांक 1 के लोग करें उपाय
जिन जातकों की कुंडली में यदि पितृ दोष है या नहीं भी है, बहुत बार संतान, नौकरी, ग्रह क्लेश से बचने आदि के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन उसके कोई काम नहीं बन पा रहे हैं तो जिन जातकों का मूलांक 1 है, उन जातकों को प्रतिपदा तिथि में किसी पवित्र नदी, कुआँ आदि में तर्पण करना चाहिए. अपने इस जन्म के, पूर्व जन्म के पितरों के नाम से अपने नक्षत्र अनुसार पौधे लगाने चाहिए. प्रतिपदा की तिथि में आप गरीब भूखे लोगों या कुष्ठ रोगियों को भोजन कराएं.
श्राद्ध का उत्तम समय
कुतुप काल,रोहिण काल और अपराह्न काल में पितृ कर्म के कार्य शुभ माने जाते हैं। इस समय पितृगणों को निमित्त धूप डालकर तर्पण,ब्राह्मण को भोजन कराना और दान-पुण्य के कार्य करने चाहिए.
कुतुप काल : सुबह 11 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक
रोहिण काल : दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 25 मिनट तक
अपराह्न काल : दोपहर 1 बजकर 14 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 41 मिनट तक
FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 11:41 IST
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