Pitru Paksha 2025: सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. दरअसल, पितृ पक्ष पितरों के श्राद्ध का उत्तम समय होता है. पितृ पक्ष का प्रारंभ आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से होता है. प्रतिपदा तिथि को पितृ पक्ष में प्रतिपदा श्राद्ध के नाम से जाना जाता है. पितृ पक्ष का समापन आश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन होता है, जिसे सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं. पितृ पक्ष 14, 15 या 16 दिनों का होता है. तिथियों के कम या ज्यादा होने पर इसके दिन घट या बढ़ जाते हैं. इस बारे पितृ पक्ष 7 सितंबर दिन रविवार से प्रारंभ हो रहा है. पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी पितृ पक्ष का समय बहुत उत्तम माना गया है. इन दिनों पितरों को प्रसन्न करने के लिए लोग कई उपाय करते हैं, लेकिन उड़द दाल और काले चने और चावल के उपाय अधिक कारगर हो सकते हैं. अब सवाल है कि आखिर पितृ पक्ष कब से हैं? पितृ पक्ष में उड़द दाल, काले चने और चावल का क्या महत्व है? आइए जानते हैं इस बारे में-
बता दें कि, इंसान के जीवन में आने वाली परेशानियों का मतलब सिर्फ पैसा ही नहीं होता है. इसका एक बड़ा कारण पितृ दोष भी हो सकता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ दोष लगने पर व्यक्ति के जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं. पितृ दोष न केवल उस व्यक्ति तक सीमित रहता है बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों को प्रभावित कर सकता है. इसका प्रका
उड़द दाल, काले चने और चावल का महत्व
पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) में उड़द दाल, काले चने और चावल का विशेष महत्व होता है. ये तीनों चीजें श्राद्ध कर्म और पिंडदान में विशेष रूप से प्रयुक्त होती हैं, और इनका धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आधार है.
पितृ पक्ष में उड़द दाल का महत्व
उड़द दाल को “पितृ प्रिय” माना गया है. यह दाल विशेष रूप से कृष्णवर्ण (काली) होती है और शास्त्रों में बताया गया है कि पितरों को काले रंग की वस्तुएं प्रिय होती हैं. श्राद्ध कर्म में उड़द दाल का प्रयोग “पिंड” बनाने, दान देने और भोजन में किया जाता है. बता दें कि, उड़द दाल से तामसिक प्रवृत्ति को शांत करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने में सहायता मिलती है. इसलिए उड़द दाल का पितृ पक्ष में विशेष महत्व माना गया है.
पितृ पक्ष में काले चने का महत्व
काले चने भी कृष्णवर्ण होने के कारण पितरों को प्रिय माने जाते हैं. इन्हें श्राद्ध में भोजन में शामिल किया जाता है और ब्राह्मणों को दान के रूप में भी दिया जाता है. मान्यता है कि, काले चने को पितरों की भूख को शांत करने वाला माना जाता है. विशेषकर अशांत या अकाल मृत्यु वाले पितरों को संतोष देने के लिए काले चने का प्रयोग किया जाता है.
पितृ पक्ष में चावल का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चावल को सात्त्विक और सबसे शुद्ध अन्न माना गया है. पिंडदान में चावल (विशेष रूप से सफेद चावल) का उपयोग किया जाता है. श्राद्ध में “पिंड” बनाने के लिए चावल और तिल का मिश्रण किया जाता है. इसके अलावा, चावल संतुलन और शांति का प्रतीक है. कहा जाता है कि, यह पितरों की आत्मा की तृप्ति और मुक्ति के लिए आवश्यक होता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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