Tuesday, September 23, 2025
25.5 C
Surat

Pitru Paksha 2025 shradh rules । पितृ पक्ष 2025 श्राद्ध नियम, तर्पण विधि व चंद्र ग्रहण संयोग


Last Updated:

Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत आज रविवार, 7 सितंबर से पूर्णिमा स्नान और चंद्र ग्रहण के संयोग के साथ हो गई. अगले 16 दिनों तक देशभर में श्राद्ध, तर्पण और दान का महापर्व मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुस…और पढ़ें

Pitru Paksha 2025: चंद्र ग्रहण के साथ हुआ आरंभ, जानें क्या करें और क्या न करेपितृ पक्ष 2025 कब है
Pitru Paksha shradh rules: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. यह वह पावन काल होता है जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं. साल 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर, रविवार से शुरू होकर 21 सितंबर, रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के दिन समाप्त होगा. इस अवधि में पूरे भारतवर्ष के अलग-अलग हिस्सों में गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, क्षिप्रा और अन्य पवित्र नदियों के तट पर लोग स्नान, तर्पण और पितरों के लिए धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. मान्यता है कि इस दौरान की गई पूजा-अर्चना, दान और श्रद्धा से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार पर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद बरसाते हैं. इस बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी.

इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा स्नान के साथ होगी और संयोग से उसी दिन रात्रि में चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 10:58 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक रहेगा. ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से ही शुरू हो जाएगा. इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और श्रद्धालु पूजा-अर्चना घरों में ही करेंगे. ग्रहण और पितृ पक्ष का यह संयोग कई मायनों में खास माना जा रहा है.

पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है. यह काल पितरों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस अवधि में पितरों का श्राद्ध करता है, उसे जीवन में तरक्की और संतति सुख प्राप्त होता है. पितृ दोष से मुक्ति पाने का भी यह उत्तम समय है. श्राद्ध कर्म गोशाला, देवालय या नदी तट पर करना विशेष फलदायी माना गया है.

  • पवित्र नदियों या कुंडों में स्नान करके तर्पण करें.
  • सोना, चांदी, तांबा और कांसे के बर्तनों में भोजन बनाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं.
  • पलाश के पत्तल में भोजन करने की परंपरा भी शुभ मानी जाती है.
  • श्राद्ध कर्म के समय सफेद और सुगंधित फूलों का उपयोग करें.
  • ब्राह्मण, गौ और गरीबों को भोजन कराना और दान देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है.
  • शरीर, मन, भूमि और द्रव्य को शुद्ध रखकर ही अनुष्ठान करें.

क्या न करें पितृ पक्ष में

  • लोहा और मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग श्राद्ध में वर्जित है.
  • श्राद्ध कर्म के दौरान क्रोध, जल्दबाजी और अपवित्रता से बचें.
  • लाल और काले रंग के फूलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
  • इस काल में अनावश्यक खर्च, दिखावा और दिखावटी कर्मकांड से दूर रहें.
  • किसी का अपमान या झूठ बोलना इस अवधि में अशुभ माना जाता है.
सुरक्षा और व्यवस्थाएं
देशभर के प्रमुख तीर्थस्थलों जैसे गया, वाराणसी, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में इन 16 दिनों के दौरान लाखों श्रद्धालु जुटते हैं. प्रशासन इन जगहों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा, यातायात और स्वास्थ्य सेवाओं की विशेष व्यवस्था करता है. गंगा और अन्य नदियों के घाटों पर पुलिस, गोताखोर और स्वयंसेवक तैनात रहते हैं ताकि कोई दुर्घटना न हो.

पितृ पक्ष केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि परिवार और समाज को जोड़ने का माध्यम भी है. यह हमें हमारे पूर्वजों की याद दिलाता है और उनकी दी हुई शिक्षाओं और संस्कारों को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है. इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण के संयोग में हो रही है, जो इसे और भी विशेष बना देती है. श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए किया गया श्राद्ध निश्चित ही पितरों को तृप्त करता है और घर-परिवार में समृद्धि लाता है.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homeastro

Pitru Paksha 2025: चंद्र ग्रहण के साथ हुआ आरंभ, जानें क्या करें और क्या न करे


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/astro/astro-tips-pitru-paksha-2025-aaj-ravivar-se-shuru-16-din-ka-shradh-parv-purnima-snaan-chandra-grahan-kya-karen-kya-na-karen-ws-kl-9594008.html

Hot this week

बलिया के मिश्रा जी का फेमस समोसा, हर बाइट में मिलेगा पनीर का स्वाद

बलिया का स्ट्रीट फूड इन दिनों एक खास...

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img