Premanand Ji Maharaj On Extra Marital Affairs: आज के समय में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की वजह से कई परिवार बिखर रहे हैं. शादीशुदा होने के बावजूद पति का किसी दूसरी महिला से संबंध या पत्नी का किसी दूसरे पुरुष से संबंध वैवाहिक जीवन की बुनियाद खोखला कर रहा है. जब पति या पत्नी के विवाहेत्तर संबंध के बारे में पति या पत्नी को पता चलता है तो उनका दिल टूटता है, शादी के रिश्ते की पवित्रता छिन्न-भिन्न होती है. सामने वाले के धोखे से मन इतना दुखी होता है कि कुछ मामलों में पति या पत्नी खतरनाक कदम उठाने की सोचते हैं या उठा लेते हैं. अपनी जिंदगी खत्म कर लेते हैं, लेकिन यह रास्ता परिस्थितियों से मुंह मोड़कर भागने वाला है. यदि आपके वैवाहिक जीवन में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का दीमक लग गया है और आप कुछ गलत कदम उठाने की सोचते हैं तो आपको एक बार प्रेमानंद महाराज की बातों को जरूर सुनना चाहिए.
ऐसे जीवनसाथी का कर दें त्याग
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यदि आपका पति व्यभिचारी है, दूसरों महिलाओं के साथ उसका संबंध है, ऐसी ही यदि आपकी पत्नी व्यभिचारी है और उसके दूसरे पुरुषों से संबंध है तो आपको उसका त्याग कर देना चाहिए. उससे अपने संबंध को तोड़ लेना चाहिए.
ऐसी पत्नी से न तोड़ें संंबंध
प्रेमानंद जी आगे कहते हैं कि यदि पत्नी आपके अधीन है यानि पत्नी आप से प्रेम करती है, वह आपके वैवाहिक बंधन का सम्मान करती है तो वह आपको गाली भी देती है तो उसको त्यागने की नहीं सोचना चाहिए. यहां पत्नी के गाली देने का अर्थ यह है कि पत्नी आपकी गलत आदतों, दोष, अवगुण या बुराई के बारे में भला बुरा कहती है तो आपको उसे संबंध नहीं तोड़ना चाहिए.
संकट में पड़ जाएगा आपका जीवन
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि पति या पत्नी को सिर्फ एक ही दोष पर त्यागा जा सकता है, और अन्य कमियों पर नहीं. पति यदि व्यभिचारी है, तो वह कितना भी धनी और सुंदर हो तो उसका त्याग कर देना चाहिए. वैसे ही पत्नी भी व्यभिचारिणी है, तो वह कितनी भी सुंदर और अच्छा व्यवहार करने वाली हो, उसका त्याग कर देना चाहिए. यदि यह जानते हुए भी आप उसके साथ हैं, तो आपका जीवन संकट में पड़ जाएगा. आपका धर्म संकट में पड़ जाएगा. ऐसी शास्त्र की आज्ञा है.
दंपत्तियों को प्रेमानंद जी की सलाह
प्रेमानंद जी शादीशुदा लोगों को सलाह देते हैं कि आप अपनी ईश्वर भक्ति को गुप्त रखें. यदि आप नाम जप करते हैं, ईश्वर की पूजा करते हैं और आपका साथी उससे स्वयं को उपक्षेति महसूस करता है तो इस बात का ध्यान रखें कि उसे चिढ़ न पैदा हो. आपके संबंध पर संकट न आए, संबंध न टूटे, आपका गृहस्थ जीवन आनंदमय रहे, शांति से चले.
भक्ति तो आनंद देने वाली है. भक्ति सबको अपने साथ जोड़ने वाली है. भक्ति से लोगों को सुख प्राप्त होता है. भक्ति संबंध को तोड़ती नहीं है. यदि संबंध टूटता है तो आपकी भक्ति पर कलंक लग जाएगा. ईश्वर की भक्ति संबंधों को बचाती है.
पति-पत्नी भक्ति संग करें अपने धर्म का पालन
पत्नी ईश्वर के प्रति समर्पित है, दिनभर उसमें ही लगी रहती है, राधा नाम को जप करती रहती है और पति को यह पसंद नहीं है, तो ऐसा नहीं करना है. आप अपने मन में नाम जप करें, ईश्वर की भक्ति करें. लेकिन अपने पत्नी धर्म का भी पालन करें. ऐसा ही पति को भी करना चाहिए. यह पति और पत्नी दोनों पर ही लागू होता है. पति भी ईश्वर की भक्ति के साथ पत्नी के प्रति अपने धर्म का पालन करें.
जो लोग अपने जीवनसाथी के विवाहेत्तर संबंध से दुखी होकर कुछ गलत कदम उठाने की सोचते हैं, वह बहुत ही गलत है. ईश्वर ने आपको जीवन दिया है, उसे खत्म करने का अधिकार आपको नहीं है.
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