Friday, September 26, 2025
27 C
Surat

Samudra Manthan: क्यों हुआ था समुद्र मंथन, किन 4 स्थानों पर गिरीं अमृत की बूंदें? जानते हैं इनके नाम । Samudra Manthan katha Four Holy Places in India Formed by Drops of Amrit


Samudra Manthan katha: पौराणिक धर्म ग्रंथों में समुद्र मंथन की कथा मिलती है. समुद्र मंथन हिंदू धर्म की सबसे रोचक और गूढ़ कथाओं में से एक है. यह सिर्फ एक पौराणिक घटना नहीं, बल्कि इसमें जीवन के गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक संदेश छिपे हुए हैं, जो आज भी हमारे जीवन में मायने रखते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ उस दौरान भगवान अमृत के कलश को राक्षसों से बचाकर ले जा रहे थे, तब अमृत की कुछ बूंदें भारत के चार पवित्र स्थानों पर गिर गई थीं. आइए जानते हैं इन उन 4 जगहों के बारे में.

हरिद्वार, उत्तराखंड
मान्यता है कि जब भगवान अमृत कलश को लेकर भाग रहे थे, इसी छीना-छपटी में अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में गिर गईं.  यहां हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है, जिसमें लाखों लोग गंगा स्नान करने आते हैं, ये मानकर कि इससे उन्हें आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होगी.

उज्जैन, मध्य प्रदेश
मान्यता है कि अमृत की एक बूंद यहां शिप्रा नदी के किनारे गिरी थी. यही वजह है कि उज्जैन भी भारत के प्रमुख तीर्थों में गिना जाता है. हर 12 साल में यहां सिंहस्थ कुंभ मेला आयोजित होता है, जिसमें साधु-संतों से लेकर लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं.

ये भी पढ़ें- Premanand Ji Maharaj: बहुत प्रयास करने पर भी नहीं मिल रही नौकरी? प्रेमानंद महाराज ने बताया समाधान

प्रयागराज, उत्तप्रदेश
मान्यताओं के अनुसार जब देवता राक्षसों से अमृत की रक्षा कर रहे थे उसी दौरान कलश से अमृत की कुछ बूंदें गिरीं थीं, जिससे यह स्थान तीर्थराज बन गया.

नासिक, महाराष्ट्र
मान्यता है कि अमृत की एक बूंद नासिक में भी गिरी थी, खासकर गोदावरी नदी के पास. नासिक में भी हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित होता है, जहां लोग पवित्र स्नान करते हैं और मोक्ष की कामना करते हैं.

समुद्र मंथन की शुरुआत कैसे हुई?
एक बार इंद्र देव अपने हाथी ऐरावत के साथ घूम रहे थे. उन्हें रास्ते में ऋषि दुर्वासा मिले जिन्होंने उन्हें एक चमत्कारी माला दी. इंद्र ने वो माला अपने हाथी की सूंड़ पर रख दी, लेकिन हाथी ने उसे पैरों से कुचल दिया. इससे ऋषि दुर्वासा को बहुत क्रोध आया, और उन्होंने इंद्र व सभी देवताओं को श्राप दे दिया कि वे अपनी ताकत, शक्ति और सम्मान खो देंगे.

कमज़ोर हो चुके देवता राक्षसों से हारने लगे और डर के मारे उन्होंने भगवान विष्णु से सहायता मांगी. विष्णु ने बताया कि अगर वे क्षीर सागर को मथें, तो अमृत निकलेगा, जिसे पीकर वे अमर हो जाएंगे. लेकिन समुद्र मंथन करना आसान नहीं था, और देवता अब शक्तिहीन थे. इसीलिए इंद्र ने असुरों से मदद मांगी और उन्हें अमृत में हिस्सा देने का वादा किया. असुर लालच में मान गए.

समुद्र मंथन की प्रक्रिया
मंदराचल पर्वत को मथनी (रस्सी घुमाने की डंडी) बनाया गया और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया. जब मंदराचल को समुद्र में रखा गया तो वो डूबने लगा. तब विष्णु ने कूर्म अवतार (कछुए का रूप) लिया और पर्वत को अपनी पीठ पर टिकाया. वासुकी को पर्वत पर लपेट दिया गया और देवताओं और असुरों ने उसके दोनों सिरों को पकड़कर उसे खींचना शुरू किया.

ये भी पढ़ें- Vastu Tips: वास्तु के अनुसार दें ये गिफ्ट्स, खुशियों से भर जाएगा उनका घर, आप भी रहेंगे हमेशा याद!

अमृत मिलने के बाद शुरू हो गया झगड़ा
कई सालों तक मंथन के बाद, धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. जैसे ही अमृत निकला, देवताओं और असुरों में झगड़ा शुरू हो गया. एक असुर अमृत का घड़ा लेकर भाग गया. भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. एक सुंदर स्त्री बनकर असुरों का ध्यान भटकाया और देवताओं को अमृत पिला दिया.

लेकिन एक असुर “स्वर्भानु” ने छल से अमृत पी लिया. सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और विष्णु ने उसे दो टुकड़ों में काट दिया. उसका सिर “राहु” और धड़ “केतु” बना. इस तरह देवताओं ने अमृत पीकर अपनी शक्तियां वापस पाईं.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/dharm/samudra-manthan-katha-four-holy-places-in-india-formed-by-drops-of-amrit-ws-kl-9187736.html

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img