Shani Pradosh Vrat 2024: व्रत एवं त्योहारों का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. इसी क्रम में आज यानी 28 दिसंबर को शनि प्रदोष व्रत भी है. यह साल 2024 का आखिरी प्रदोष व्रत पौष महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन शनिवार को है. इसको शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन भगवान शिवजी की पूजा होती है. धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन पूजा-व्रत करने से जातकों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन लोग भगवान शिव की कृपा पाने के लिए जलाभिषेक या दूधाभिषेक करते हैं. लेकिन, अभिषेक करते समय आपकी कुछ गलतियां आपको लाभ से वंचित रख सकती हैं. अब सवाल है कि आखिर शिवजी का किस किस धातु के बर्तन से अभिषेक करना चाहिए? क्या है इसके पीछे की वजह? इस बारे में Bharat.one को बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र शास्त्री-
शनि प्रदोष व्रत 2024 का समय और शुभ मुहूर्त
साल का अंतिम शनि प्रदोष व्रत का शुभारंभ 28 दिसंबर 2024 को रात 2 बजकर 26 मिनट से शुरू होगा, जो अगले दिन 29 दिसंबर की सुबह 3 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगा. इस दिन बुध और चंद्रमा ग्रह एक साथ वृश्चिक राशि में रहेंगे. ग्रहों की इस दशा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही भगवान शिव की पूजा शाम को करने का विशेष महत्व है. इस दिन पूजा का समय शाम 6:43 बजे से रात 8:59 बजे तक रहेगा.
क्यों करते हैं शिवजी का व्रत-पूजन
मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को खुश करने के लिए ज्यादातर लोग सोमवार का व्रत रखते हैं. पुरुष अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए व्रत रखते हैं. वहीं, कुंवारी लड़कियां मनपसंद जीवनसाथी पाने के लिए और सुहागिन महिलाएं सदा सौभाग्य रहने की कामना के साथ व्रत का पालन करती हैं. कहा जाता है कि देवताओं में भगवान शिव ही एक ऐसे देव हैं, जिन्हें प्रसन्न करना सबसे आसान है.
इन धातु के बर्तन में अभिषेक करना शुभ
शास्त्रों के अनुसार, पीतल या चांदी के बर्तन से शिवलिंग पर दूध चढ़ाना सबसे उत्तम होता है. पीतल के बर्तन सेहत की दृष्टि से भी अच्छे माने गए हैं. जहां पीतल के बर्तन से शिव का अभिषेक करने से घर में सौभाग्य आता है, वहीं, चांदी के बर्तन से चंद्रमा और शुक्र ग्रह मजबूत होता है.
चांदी का वास्तु: शिव जी के अभिषेक में चांदी का बर्तन यूज करने से घर पर सुख-समृद्धि आती है. यही वजह कि, इस धातु के बर्तन का उपयोग पूजा-पाठ, शादी-विवाह, लेन-देन जैसे कई अवसरों पर किया जा सकता है. दरअसल, चांदी का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से होता है, इसलिए चांदी धातु के प्रयोग से कुंडली में चंद्रमा और शुक्र ग्रह भी मजबूत होते हैं.
पीतल का वास्तु: चांदी के बाद पीतल सबसे शुभ और पवित्र माना गया है. इससे बने बर्तनों का उपयोग पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठानों में सबसे ज्यादा किया जाता है. धार्मिक शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार, पीतल के बर्तन में भगवान शिव को दूध चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वर देते हैं. इसके साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
FIRST PUBLISHED : December 28, 2024, 11:05 IST
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