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shardiya Navratri 2nd Day Maa Brahmacharini in dwipushkar yog importance of second day of Navratri | द्विपुष्कर योग में मां ब्रह्मचारिणी और हनुमानजी की पूजा, जाने महत्व और राहुकाल का समय

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आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर मंगलवार को द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन मां दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी और मंगलवार की वजह से रामभक्त हनुमानजी की पूजा अर्चना की जाएगी. मां ब्रह्मचारिणी विद्या, ज्ञान और तपस्या की देवी मानी जाती हैं. माता का का नाम ही ब्रह्मचर्य से जुड़ा है, जो जीवन में संयम और अनुशासन का संदेश देता है. उनकी पूजा करने से मानसिक संतुलन, धैर्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. वहीं हनुमानजी संकट और भय से रक्षा करते हैं. पूजा अर्चना करने से भय, अशांति और मानसिक तनाव कम होता है. आइए जानते हैं शुभ योग में मां और हनुमानजी की पूजा का महत्व…

अभिजीत और राहुकाल का समय
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 3 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 4 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. इस दिन सूर्य कन्या राशि में रहेंगे. वहीं, चंद्रमा सुबह के 2 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 24 सितंबर तक कन्या राशि में रहेंगे. इसके बाद तुला राशि में गोचर करेंगे.

मंगलवार 2025 शुभ योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, द्विपुष्कर योग (रविवार, मंगलवार या शनिवार) को चंद्र तिथि (द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी) और नक्षत्र (चित्रा, स्वाति, या धनिष्ठा) के एक विशिष्ट संयोग से बनता है. इस योग में किए गए किसी भी शुभ कार्य का फल दोगुना प्राप्त होता है. इसलिए, द्विपुष्कर योग में शुभ कार्यों की शुरुआत करना लाभकारी होता है. द्विपुष्कर के साथ ही इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग, सूर्य बुध ग्रह की युति से बुधादित्य योग और गजकेसरी योग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी दूसरे दिन की माता हैं और यह देवी नवदुर्गा का स्वरूप हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना करने से मानसिक संतुलन, धैर्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. मां ब्रह्मचारिणी विद्या, ज्ञान और तपस्या की देवी मानी जाती हैं. जैसा कि माता के नाम से ही जानकारी मिल रही है, मां

हनुमानजी की पूजा का महत्व
इसी के साथ ही मंगलवार का दिन भी है, जो रामभक्त हनुमान और मंगल ग्रह को समर्पित है. स्कंद पुराण में उल्लेखित है कि बजरंगबली का जन्म भी मंगलवार को हुआ था. रामभक्त हनुमान को मंगल ग्रह के नियंत्रक के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के कष्ट, भय और चिंताएं दूर हो जाती हैं. साथ ही, मंगल ग्रह से संबंधित बाधाएं भी समाप्त होती हैं.

मंगलवार हनुमानजी की पूजा विधि
इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म-स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें. फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और पूजा की सामग्री रखें और उस पर अंजनी पुत्र की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद, सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और प्रसाद चढ़ाएं. हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर बजरंगबली की आरती करें. इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम करके प्रसाद ग्रहण करें. शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है. इस दिन लाल कपड़े पहनना और लाल रंग के फल, फूल और मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना जाता है. इस पावन दिन पर हनुमान जी की आराधना कर जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना करें.


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https://hindi.news18.com/news/dharm/shardiya-navratri-2nd-day-maa-brahmacharini-in-dwipushkar-yog-know-hanuman-ji-puja-vidhi-and-importance-of-second-day-of-navratri-ws-kl-9654397.html

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