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Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी कब है? इस दिन क्यों लगता है बासी खाने का भोग, जानिए वजह


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Sheetala Ashtami 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शीतला अष्टमी चैत्र महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती है. भक्त इस दिन माता शीतला की पूजा करके अपने परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का आशी…और पढ़ें

शीतला अष्टमी कब है? इस दिन क्यों लगता है बासी खाने का भोग, जानिए वजह

शीतला अष्टमी कब है? जानें तारीख

हाइलाइट्स

  • शीतला अष्टमी 22 मार्च 2025 को मनाई जाएगी.
  • इस दिन बासी भोजन का भोग लगाया जाता है.
  • माता शीतला की पूजा से बीमारियों से बचाव होता है.

Sheetala Ashtami 2025: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व माना जाता है. इसे बसौड़ा भी कहा जाता है. इस दिन विशेष रूप से शीतला माता की पूजा की जाती है. यह व्रत होली के बाद, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन चूल्हा जलाना वर्जित होता है और एक दिन पहले बना हुआ बासी खाना खाया जाता है. यह दिन माता शीतला को समर्पित होता है. इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और बीमारियों से रक्षा होती है. इस साल शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च 2025, शनिवार को रखा जाएगा. इस बारे में अधिक जानकारी दे रहे हैं ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र पांडेय.

2025 में शीतला अष्टमी कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि का प्रारंभ 22 मार्च 2025, शनिवार को सुबह 4:23 बजे से होगा. जबकि अष्टमी तिथि की समाप्ति 23 मार्च 2025, रविवार को सुबह 5:23 बजे को होगी. शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च 2025 को रखा जाएगा.

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पूजा का शुभ मुहूर्त
22 मार्च, शनिवार को सुबह 6:20 बजे से शाम 6:33 बजे तक रहेगा.

शीतला अष्टमी का महत्व
शीतला अष्टमी का पर्व बीमारियों और संक्रमण से बचाव के लिए मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता शीतला को रोगों की देवी कहा जाता है. खासकर चेचक, खसरा और त्वचा से संबंधित रोगों से बचाव के लिए माता शीतला की पूजा की जाती है.

क्यों कहते हैं इसे बसौड़ा?
इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग (जैसे हलवा, मीठे चावल, पूरी आदि) लगाया जाता है. यही कारण है कि इसे बसौड़ा पर्व कहा जाता है. इस दिन सभी लोग एक दिन पहले बना हुआ भोजन ही खाते हैं.

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शीतला माता की पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और माता शीतला का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें.
  • घर की सफाई: घर और पूजा कक्ष को अच्छी तरह से साफ करें.
  • माता को अर्पित करने के लिए एक बर्तन में भोग रखें.
  • माता को ताजा भोजन चढ़ाने की मनाही है, इसलिए एक दिन पहले हलवा, पूरी, चावल, रस की खीर, हल्दी, मेहंदी और फूल आदि का भोग तैयार करें.
  •  शीतला माता की कथा सुनें और विधि-विधान से पूजा करें
  • माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें
  • इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन या धन का दान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है.

शीतला अष्टमी का लाभ
मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और माता की कथा सुनने से सभी रोगों का नाश हो जाता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

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शीतला अष्टमी कब है? इस दिन क्यों लगता है बासी खाने का भोग, जानिए वजह


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