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Shri Mahalingeshwara Temple is 600 years old wood made Shiva lingam worshipped here Know history | 600 साल से भी ज्यादा पुराने इस मंदिर में लकड़ी से बने शिवलिंग की होती है पूजा, यहां होता है लाइव चमत्कार


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Shri Mahalingeshwara Temple: वैसे आपने देवों के देव महादेव के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे, जिनका ऐतिहासिक और चमत्कारी महत्व होगा लेकिन भारत के आंध्र प्रदेश में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां लकड़ी के बने शिवलिंग की पूजा अर्चना की जाती है. यह मंदिर 600 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है. आइए जानते हैं भगवान शिव के इस मंदिर की खास बातें…

600 साल से भी ज्यादा पुराने इस मंदिर में लकड़ी से बने शिवलिंग की होती है पूजा

Shri Mahalingeshwara Temple: देवों के देव महादेव, भगवान शिव अनेक रूपों में विराजमान हैं. पूरी पृथ्वी के सृजनकर्ता और विनाशक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान शिव को पवित्र शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है. आंध्र प्रदेश के एक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर में आज भी लकड़ी से बने शिवलिंग की पूजा होती है. यह देश का पहला मंदिर है, जहां शिवलिंग लकड़ी का बना है. बताया जाता है कि यह मंदिर 600 साल पुराना है और इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. शिवलिंग लकड़ी का बना होने के बाद भी इस पर लगातार जल की धारा बहती रहती है और उसके बाद भी शिवलिंग आज तक वैसा ही बना हुआ है. आइए जानते हैं महादेव के इस मंदिर के बारे में…

600 सालों से ज्यादा पुराना मंदिर
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम के पास मुखलिंगम गांव में भगवान शिव को समर्पित श्री मुखलिंगेश्वर मंदिर स्थित है. इसे मधुकेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि मंदिर में भगवान शिव के अवतार को मधुकेश्वर कहा जाता है. बताया जाता है कि मंदिर 600 सालों से ज्यादा पुराना है, जहां भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा होती है. अध्यात्म और इतिहास की दृष्टि से श्रीकाकुलम का अपना अस्तित्व रहा है. यह कभी कलिंग साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था और वंशधारा नदी के किनारे बसे होने की वजह से मुखलिंगम गांव में भगवान शिव को समर्पित दो मंदिर, सोमेश्वर और भीमेश्वर, भी मौजूद हैं.

मंदिर का नाम मुखलिंगेश्वर मंदिर
श्री मुखलिंगेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग अलग है. शिवलिंग पेड़ के तने से बना है, लेकिन देखने पर पत्थर की संरचना लगती है. भक्तों का मानना है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है. इतना ही नहीं, शिवलिंग पर भगवान शिव के चेहरे की आकृति भी उकेरी गई है, जो उनके साकार और निराकार रूप का मिश्रण है. शिवलिंग पर मुख अंकित होने की वजह से ही मंदिर का नाम मुखलिंगेश्वर पड़ा.

मंदिर की वास्तुकला कलिंग शैली का उत्कृष्ट
मुखलिंगेश्वर शिवलिंग पर लगातार जल की धारा बहती रहती है, लेकिन शिवलिंग आज तक वैसा का वैसा ही बना हुआ है. यही कारण है कि भक्तों का मुखलिंगेश्वर महादेव पर विश्वास और आस्था इतनी गहरी है. भक्तों को विश्वास है कि मुखलिंगेश्वर महादेव उन पर कोई विपदा नहीं आने देंगे. मंदिर की वास्तुकला भी कलिंग शैली का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करती है. मंदिर की दीवारों में भगवान शिव, नंदी, विष्णु भगवान और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को उकेरा गया है. मंदिर के प्रांगण में नंदी महाराज की बड़ी प्रतिमा विराजमान है.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

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600 साल से भी ज्यादा पुराने इस मंदिर में लकड़ी से बने शिवलिंग की होती है पूजा


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