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Amla Navami 2025: 31 अक्टूबर को आंवला नवमी की पूजा की जाएगी और इस दिन शुक्रवार भी है, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं आंवला नवमी और शुक्रवार की पूजा कैसे करें…

Shukrawar Lakshmi Puja And Amla Navami 2025: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी की पूजा की जाएगी और इस दिन शुक्रवार भी है. आंवला नवमी पर आंवला के वृक्ष और भगवान विष्णु की पूजा के साथ शुक्रवार की वजह से माता लक्ष्मी कभी पूजा करें. शुक्रवार के दिन रवि योग, वृद्धि योग और गजकेसरी योग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. इन शुभ योग में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और आंवला के वृक्ष की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है और कुंडली में भौतिक सुख सुविधा के स्वामी शुक्र ग्रह की भी स्थिति मजबूत होती है. मान्यता है कि जब शुक्रवार के दिन आंवला नवमी है तो इस दिन पूजा अर्चना से तीन गुणा फल की प्राप्ति होती है.

आंवला नवमी पंचांग 2025 – द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक रहेगा. इस तिथि पर आंवला नवमी की पूजा की जाएगी, वार के हिसाब से आप शुक्रवार का भी व्रत रख सकते हैं. इसके बाद कुंभ राशि में गोचर करेंगे.

आंवला नवमी के दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा मकर राशि में सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि शुक्रवार सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी. लक्ष्मी पूजन के लिए सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक का मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है और प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन करें.

शुक्रवार माता लक्ष्मी व्रत का महत्व – ब्रह्मवैवर्त पुराण और मत्स्य पुराण में शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी, संतोषी और शुक्र ग्रह की अराधना करने के लिए बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से सुख, समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर सभी कष्ट दूर होते हैं और माता रानी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं. ज्योतिष शास्त्र में यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे जुड़े दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है.

शुक्रवार माता लक्ष्मी व्रत पूजा विधि – अगर कोई भी जातक व्रत को शुरू करना चाहता है, तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से कर सकता है. आमतौर पर 16 शुक्रवार तक व्रत रखने के बाद उद्यापन किया जाता है. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें. लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं.

शुक्रवार व्रत में जरूर करें ये काम – शुक्रवार को श्री सूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. मंत्र जप करें, ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः और विष्णुप्रियाय नमः का जप भी लाभकारी है. पूजा के अंत में कमल पुष्प अर्पित करें, लक्ष्मी चालीसा पढ़ें. प्रसाद में खीर, मिश्री और बर्फी बांटें. इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
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