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वैसे तो भारत में छोटे-बड़े कई अनोखे मंदिर मौजूद हैं लेकिन दक्षिण भारत में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां आप एक साथ कई देवी देवताओं के दर्शन कर सकते हैं. साथ ही इस मंदिर में मौजूद प्रतिमाएं आमने-सामने की तरफ हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी परेशानियां दूर होती है. आइए जानते हैं स्कंदश्रमम मंदिर के बारे में खास बातें…
दक्षिण भारत में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय यानी स्कंद (मुरुगन) की पूजा होती है. दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों में मुरुगन को समर्पित कई मंदिर हैं, लेकिन तमिलनाडु के सलेम में बना स्कंदश्रमम मंदिर विशेष है. यहां भगवान स्कंद अकेले नहीं, बल्कि कई देवी-देवताओं के साथ विराजमान हैं. इस मंदिर में मां लक्ष्मी अष्टादश भुजा रूप (18 भुजाओं के साथ) में विराजमान हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. स्कंदश्रमम मंदिर में आप एक साथ कई देवी देवताओं के दर्शन कर सकते हैं और यहां वास्तुकला देखने लायाक है. आइए जानते हैं स्कंदश्रमम मंदिर के बारे में खास बातें और यहां की प्रतिमाओं के बारे में खास जानकारी…
मंदिर में हैं कई छोटे छोटे मंदिर
उदयपट्टी गांव में स्कंदश्रमम मंदिर पहाड़ियों के बीचों बीच बसा है और दूर-दूर से भक्त यहां भगवान के पंच रूपी और अष्टरूपी प्रतिमाओं का दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर में कई छोटे-छोटे मंदिर बने हैं, जिनमें पंचमुख विनायक, अष्टादशभुजा महालक्ष्मी, पंचमुख अंजनेय और भगवान धन्वतरि विराजमान हैं. मंदिर की स्थापना ओम श्री संतानंद स्वामीगल ने कराई थी और मंदिर का निर्माण कार्य 1971 में पूरा हुआ था.
संतानहीन दंपत्ति के लिए ये मंदिर पूज्यनीय
किवदंती कि भगवान स्कंद ने ओम श्री संतानंद स्वामीगल को सपने में आकर दर्शन दिए थे और पहाड़ी पर मंदिर बनाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कराया. माना जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है और संतानहीन दंपत्ति के लिए ये मंदिर पूज्यनीय है. कहा जाता है कि जिन दंपत्ति के पास संतान नहीं है, वे इस मंदिर में आकर अनुष्ठान करते हैं. भगवान मुरुगन और अष्टादश भुजी महालक्ष्मी भक्तों की मुरादों को पूरा करती हैं.
ज्यादातर प्रतिमाएं आमने-सामने
इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां की ज्यादातर प्रतिमाएं आमने-सामने की तरफ हैं. मंदिर में मुरुगन की स्कंद गुरु के रूप में पूजा की जाती है और मां लक्ष्मी को अष्टभुजा महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है. दोनों की प्रतिमाएं एक-दूसरे के आमने-सामने विराजमान हैं. मंदिर में मां पार्वती को दुर्गा परमेश्वरी के रूप में पूजा जाता है. मंदिर में स्कंदमठ भी है, जहां अष्ट दशपूजा महालक्ष्मी और दुर्गा परमेश्वरी की खास पूजा होती है. इसके साथ ही मंदिर परिसर के उत्तरी भाग के बाहरी परिसर में 16 फुट की पंचमुख आंजनेयर और पंचमुख भगवान गणेश की अद्भुत मूर्तियां देखी जा सकती हैं.
हर मनोकामना होती है पूरी
जो भक्त मंदिर में आकर ‘स्कंद कवचम’ का पाठ करते हैं, उनकी हर परेशानी दूर होती है और संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है. मंदिर में सभी देवी-देवताओं का अभिषेक होता है, लेकिन बाकी मंदिरों की तरह पूजा-पाठ नहीं की जाती. मंदिर में भगवान की कपूर से पूजा करने पर पाबंदी है. तमिल त्योहार वैकासी विसकम, नवरात्रि और पंगुनी उथिरम के मौके पर मंदिर में विशेष कार्यक्रम और अनुष्ठान होते हैं. मंदिर में बड़ी यज्ञशाला भी मौजूद है, जहां यज्ञ किए जाते हैं.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/dharm/significance-and-history-of-skandhashramam-temple-chennai-ws-kl-9824135.html







