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Som Pradosh Vrat Katha in hindi | सोम प्रदोष व्रत कथा 2025


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Som Pradosh Vrat Katha: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. चूंकि यह तिथि सोमवार के दिन पड़ रही है इसलिए इस तिथि को सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा. मान्यता है कि सोम प्रदोष तिथि का व्रत करके कथा पढ़ने व सुनने मात्र से ही हर परेशानी दूर हो जाती है और शिवजी व माता पार्वती की कृपा से हर पाप नष्ट हो जाते हैं. यहां पढ़ें सोम प्रदोष व्रत की कथा…

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Som Pradosh Vrat Katha: आज सोम प्रदोष व्रत, शिव पूजन के समय अवश्य पढ़ें कथा

Som Pradosh Vrat Katha In Hindi: आज सोम प्रदोष तिथि को भगवान शिव का व्रत किया जाएगा. प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा उपासना का अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है. जब यह पवित्र तिथि सोमवार के दिन पड़ती है, तब इस तिथि को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही की जाती है. प्रदोष का अर्थ है, संध्या काल, जब दिन और रात का मिलन होता है (सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे के भीतर का समय). इस समय शिवजी नंदी पर आरूढ़ होकर कैलाश से पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और भक्तों का कल्याण करते हैं. सोम प्रदोष तिथि का व्रत करके कथा पढ़ने व सुनने का विशेष महत्व है. यहां पढ़ें सोम प्रदोष व्रत कथा…

सोम प्रदोष व्रत की कथा | Som Pradosh Vrat Katha

एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी. उसके पति का स्वर्गवास हो गया था. उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था, इसलिए सुबह सुबह वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी. भिक्षाटन से ही वह अपना और अपनी संतान का पेट पालती थी. एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला. ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई. वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था. शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था, इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था.

राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा. एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा और उस पर मोहित हो गई. अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई. उनको भी राजकुमार अच्छा लगा. कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को भगवान शंकर ने सपने में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए. जैसा भगवान शिव ने कहा, वैसा ही राजा ने कर दिया.

ब्राह्मणी हमेशा से प्रदोष व्रत करती थी. उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को फिर से प्राप्त कर आनन्दपूर्वक रहने लगा. राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया. ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के माहात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही हे प्रभु दीनानाथ भगवान शंकर अपने अन्य सभी भक्तों के दिन भी फेरते रहें. आपकी कृपा हम सभी पर बनी रहे.
हर हर महादेव! हर हर महादेव! भगवान शंकर की जय, माता पार्वती की जय

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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Som Pradosh Vrat Katha: आज सोम प्रदोष व्रत, शिव पूजन के समय अवश्य पढ़ें कथा


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