Tuesday, November 11, 2025
23 C
Surat

Spine astrology connection। रीढ़ की हड्डी में दर्द ज्योतिष के लिए ज्योतिष उपाय


Spine Astrology Connection : मानव शरीर में रीढ़ की हड्डी को आधार माना गया है. यह शरीर की संरचना को संभालती है, शरीर के हर हिस्से को जोड़ती है और तंत्रिका तंत्र से लेकर मानसिक संतुलन तक को प्रभावित करती है. जब रीढ़ के निचले हिस्से में झुकाव, दर्द या हड्डियों के बीच गैप महसूस होता है, तो व्यक्ति को न केवल शारीरिक तकलीफ होती है बल्कि उसकी ऊर्जा, आत्मविश्वास और मनोबल पर भी असर पड़ता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह के अनुसार, शरीर के हर हिस्से पर ग्रहों का गहरा प्रभाव होता है. रीढ़ का निचला भाग विशेष रूप से शनि, मंगल और केतु के प्रभाव से जुड़ा माना जाता है. यह भाग शरीर की स्थिरता और जीवन-ऊर्जा (Vital Energy) का केंद्र है, जिसे योग में मूलाधार चक्र कहा गया है. जब इन ग्रहों में असंतुलन या पीड़ा का योग बनता है, तो व्यक्ति को कमर दर्द, रीढ़ का टेढ़ापन या डिस्क स्पेस में अंतर जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं. यह आर्टिकल इसी ज्योतिषीय दृष्टिकोण से समझाता है कि किस प्रकार ग्रहों की स्थिति, भावों का संबंध और नक्षत्रों का प्रभाव शरीर के इस महत्वपूर्ण भाग को प्रभावित करते हैं और किस तरह इनसे राहत पाई जा सकती है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह.

1. शनि और मंगल का संबंध
रीढ़ की हड्डी हड्डियों और तंत्रिकाओं से जुड़ी होती है. शनि हड्डियों का नियंत्रक माना गया है, जबकि मंगल शरीर की मांसपेशियों और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है. जब इन दोनों ग्रहों में विरोध या टकराव बनता है – जैसे युति, दृष्टि या शत्रु संबंध – तब रीढ़ के निचले हिस्से में कमजोरी, दर्द या झुकाव उत्पन्न हो सकता है.

उदाहरण के लिए, यदि शनि और मंगल 6/8/12 भावों में एक-दूसरे से संबंधित हों, तो “Lower Back Stress” या “Tailbone Gap” जैसी स्थिति बनती है.

2. आठवां और बारहवां भाव
आठवां भाव शरीर के गहरे जोड़ और हड्डियों से जुड़ा होता है. जब यहाँ शनि, मंगल या राहु जैसे ग्रह पीड़ित होते हैं, तो रीढ़ में विकार या गैप की संभावना रहती है. बारहवां भाव शरीर के निचले हिस्से का प्रतीक है. यदि यहाँ केतु या कोई अशुभ ग्रह बैठा हो, तो व्यक्ति को सैक्रल बोन या टेलबोन में दर्द महसूस हो सकता है.

3. लग्न और दसवां भाव
लग्न शरीर की पूरी बनावट बताता है, जबकि दसवां भाव पीठ और रीढ़ से संबंधित होता है.
यदि दसवें भाव पर शनि, मंगल या राहु का दबाव हो, तो शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है.
इस स्थिति में व्यक्ति को झुकाव या “स्पाइनल अलाइनमेंट” में गड़बड़ी महसूस होती है.

4. केतु का प्रभाव
केतु “रिक्तता” या “डिसकनेक्शन” का ग्रह माना गया है.
जब यह लग्न, तीसरे, आठवें या बारहवें भाव से जुड़ता है, तो शरीर में गैप या दूरी जैसी स्थिति उत्पन्न करता है.
रीढ़ में यह प्रभाव “Spinal Vacuum” या “नसों में खालीपन” के रूप में दिखाई देता है. यह वात-संबंधी रोगों का एक प्रमुख कारण बनता है.

5. नक्षत्र स्तर पर असर
यदि शनि या केतु शतभिषा, मूल या अश्विनी नक्षत्र में हों, तो व्यक्ति के कूल्हों और रीढ़ के निचले हिस्से में असंतुलन देखने को मिलता है. ये नक्षत्र मूलाधार चक्र से जुड़े हैं, जो स्थिरता और आत्मबल का केंद्र है.
इसलिए इन नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव से रीढ़ से जुड़ी बीमारियाँ जल्दी प्रकट होती हैं.

6. शारीरिक लक्षण
जब शनि, केतु और आठवां या बारहवां भाव एक साथ प्रभावित हों, तब शरीर में वात का स्तर बढ़ जाता है.
इससे हड्डियों के जोड़ सूखने लगते हैं और रीढ़ के बीच की जगह अधिक दिखाई देती है.
अक्सर यह स्थिति L4-L5 डिस्क गैप या स्पाइन के टेढ़ेपन के रूप में डॉक्टर द्वारा बताई जाती है.

Generated image

7. उपाय और राहत के तरीके
(a) शनि के लिए –
शनिवार को तिल का तेल अर्पित करें और पीपल के वृक्ष के नीचे जल चढ़ाएं.

(b) मंगल को शांत करने के लिए –
मंगलवार को गुड़ और मसूर दान करें.

(c) केतु दोष के लिए –
नारियल या कंबल दान करें और गणपति की उपासना करें.

(d) योगिक समाधान –
सेतुबंधासन, भुजंगासन और शशांकासन जैसे आसन मूलाधार चक्र को संतुलित करते हैं.
इनसे निचले हिस्से में रक्त प्रवाह सुधरता है और पीठ में मजबूती आती है.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/astro/astro-tips-spine-astrology-connection-saturn-mars-ketu-remedies-reedh-ki-haddi-se-judi-samasya-ws-ekl-9840852.html

Hot this week

Topics

How to reverse fatty liver disease

How to reverse Fatty Liver Disease: लिवर ग्लूकोज...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img