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Spiritual benefits of Panchmukhi Ganesh। पंचमुखी गणेश पूजा


Panchmukhi Ganesh Ji Idol: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देव माना जाता है.हर शुभ काम की शुरुआत उनके नाम से ही होती है.आमतौर पर हम गणपति के एक मुख वाले स्वरूप को देखते हैं, लेकिन उनका एक दुर्लभ और बेहद शक्तिशाली रूप है – पंचमुखी गणेश.पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा को घर में स्थापित करना आसान नहीं माना जाता, क्योंकि इसके नियम बहुत सख्त होते हैं.कहते हैं कि यह स्वरूप साधक के जीवन से हर तरह के संकट को दूर करता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है,लेकिन हर कोई इस स्वरूप की पूजा नहीं कर सकता, क्योंकि इसकी साधना कठिन मानी जाती है.तो आइए जानते हैं पंचमुखी गणेश जी के पांच मुख किस-किस रूप का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

पंचमुखी गणेश जी का महत्व
पंचमुखी गणेश को अत्यंत दुर्लभ स्वरूप माना जाता है जहां एक मुख वाले गणेश जी घर में सुख-शांति और प्रसन्नता का प्रतीक हैं, वहीं पांच मुख वाले गणेश संकट निवारण और आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक हैं.इस स्वरूप की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आने वाली रुकावटें खत्म हो जाती हैं और उसे सही दिशा मिलती है.यही कारण है कि संत-महात्मा और साधक पंचमुखी गणपति की साधना को खास महत्व देते हैं.

2. दक्षिण मुख – हेरंब गणपति
दक्षिण दिशा की ओर मुख भगवान हेरंब गणपति का प्रतिनिधित्व करता है.यह स्वरूप धन, समृद्धि और सौभाग्य देने वाला है.इसे पूजने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और जीवन में उन्नति मिलती है.

3. पश्चिम मुख – विघ्नहर गणपति
पश्चिम दिशा का मुख विघ्नहर गणपति के रूप में जाना जाता है.यह स्वरूप जीवन से हर तरह की रुकावट और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है.भक्त मानते हैं कि इस मुख की पूजा से स्थिरता और सुरक्षा मिलती है.

4. उत्तर मुख – गजानन गणपति
उत्तर दिशा की ओर देखने वाला मुख गजानन गणपति का प्रतीक है.यह ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक जागरण से जुड़ा हुआ है.इस मुख की आराधना से इंसान को सही राह दिखती है और उसकी मानसिक शक्ति प्रबल होती है.

5. ऊपर मुख – लंबोदर गणपति
पांचवां और सबसे विशेष मुख ऊपर की ओर होता है, जिसे लंबोदर गणपति कहा जाता है.यह आनंद, मोक्ष और आत्मिक शांति का प्रतीक है.इस मुख की साधना से इंसान की इच्छाएं संतुलित होती हैं और जीवन में संतोष की प्राप्ति होती है.

यह भी पढ़ें – Parivartini Ekadashi 2025: इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान विष्णु की आराधना, जानें पूजा विधि, व्रत का महत्व और क्या न करें?

घर में स्थापना के नियम
पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा को घर में विराजित करने के लिए खास नियम बताए गए हैं.इसे किसी भी साधारण जगह पर नहीं रखा जा सकता.शास्त्रों के अनुसार, इस प्रतिमा की स्थापना घर के पूजाघर में, साफ और शांत स्थान पर ही करनी चाहिए.पूजा के समय पूरे विधि-विधान और मंत्रों का उच्चारण जरूरी है. कहा जाता है कि यदि सही तरीके से पूजा न हो, तो इसका असर उल्टा भी हो सकता है. इसलिए पंडित या किसी जानकार की देखरेख में ही पंचमुखी गणेश की स्थापना करनी चाहिए.


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https://hindi.news18.com/news/dharm/panchmukhi-ganesh-idol-significance-know-its-benefits-and-puja-vidhi-ws-ekl-9580949.html

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