Tulsi Vivah 2025 Today: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का अत्यंत पावन पर्व मनाया जाता है और यह शुभ तिथि आज है. आज भगवान शालीग्राम और तुलसी माता का शुभ मुहूर्त में विवाह कर अक्षय पुण्य की प्राप्ति की जाती है. तुलसी विवाह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि धर्म, भक्ति और ग्रह-संतुलन का दिव्य योग है. यह भगवान श्रीहरि विष्णु और माता तुलसी (देवी वृंदा) के दिव्य विवाह का प्रतीक है. इस विवाह से देव-शक्ति और प्रकृति-शक्ति का मिलन होता है, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि में पुनः मंगल कार्यों का आरंभ माना जाता है. इस बार तुलसी विवाह पर त्रिपुष्कर योग समेत चार शुभ योग बन रहे हैं, जिससे आज के दिन महत्व और भी बढ़ गया है. आइए जानते हैं तुलसी विवाह का महत्व, पूजन विधि और विवाह का मुहूर्त…

तुलसी विवाह का आध्यात्मिक महत्व
तुलसी माता लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं, इसलिए यह विवाह समृद्धि और सौभाग्य का उत्सव है. तुलसी विवाह के दिन से ही सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. मान्यता है कि तुलसी विवाह कराने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी रोग, शोक, कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही तुलसी विवाह से घर का वातावरण पवित्र होता है, और परिवार में धार्मिक ऊर्जा का संचार होता है. जिनकी कुंडली में विवाह में विलंब या दाम्पत्य सुख की कमी हो, वे तुलसी विवाह अवश्य करवाएं या शामिल हों.
तुलसी विवाह 2025 शुभ योग
तुलसी विवाह हमेशा सायंकल के समय करना चाहिए. तुलसी विवाह के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, जो धन लाभ, सुख और संपत्ति में वृद्धि और पूजा पाठ का तिगुना फल मिलता है. साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो सभी कार्यों को सिद्ध करता है. वहीं मंगल ग्रह के स्वयं की राशि में होने से रूचक राजयोग और शुक्र के तुला राशि में आने पर मालव्य राजयोग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.
तुलसी विवाह 2025 शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, तुलसी-शालीग्राम का विवाह हमेशा सायंकाल के समय किया जाता है. तुलसी विवाह के लिए गोधूलि मुहूर्त सबसे उत्तम रहने वाला है, जो शाम 5 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा और 6 बजकर 1 मिनट तक रहने वाला है.
ब्रह्म मुहूर्त – 04:50 ए एम से 05:42 ए एम
अभिजित मुहूर्त – 11:42 ए एम से 12:26 पी एम
विजय मुहूर्त – 01:55 पी एम से 02:39 पी एम
निशिता मुहूर्त – 11:39 पी एम से 12:31 ए एम, 3 नवंबर
अमृत काल – 09:29 ए एम से 11:00 ए एम
त्रिपुष्कर योग – 07:31 ए एम से 05:03 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग – 05:03 पी एम से 06:34 ए एम, 3 नवंबर
तुलसी-शालीग्राम विवाह का भोग
देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए तुलसी विवाह में सात्विक भोग चढ़ाया जाता है. जैसे- खीर, हलवा, पंजीरी, फल, सूखे मेवे और तुलसी पत्र विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं.

तुलसी विवाह से पहले सजावट और व्यवस्था
- जो लोग तुलसी विवाह करवाना चाहते हैं, वे कन्यादान का व्रत अवश्य रखें और तुलसी के बेटी के समान मानें. शालीग्राम भगवान की ओर से पुरुष समाज और तुलसी माता की ओर से महिला वर्ग एक साथ आते हैं.
- तुलसी विवाह सायंकाल के समय किया जाता है. तुलसी विवाह के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में तुलसी चौरा को साफ जल से धोकर सजाएं.
- तुलसी चौरा के चारों ओर आम्रपत्र (आम के पत्ते) और आम्र-कलश लगाएं. साथ ही गंगाजल से छिड़काव करें.
- तुलसी माता को वधू रूप में सजाएं, लाल या गुलाबी चुनरी, चूड़ियां, सिंदूर का प्रतीक और फूलों की माला पहनाएं.
- शालिग्राम भगवान को वर के रूप में सजाएं. पीत वस्त्र, तुलसीमाला और तिलक लगाएं.
- विवाह मंडप के चारों ओर दीपक जलाएं (कम से कम 11 या 17 घी के दीपक).
तुलसी विवाह संपूर्ण विधि
- तुलसी-शालीग्राम विवाह के लिए सबसे पहले गणेश पूजन करें. आरंभ में गणेशजी का पूजन करें ताकि कोई विघ्न न हो और ॐ गणपतये नमः मंत्र जप करें.
- अब कलश में जल, आम्रपत्र, सुपारी, अक्षत डालें; नारियल रखकर पूजा करें. ॐ आपः स्थिरा भवत, कलश देवता नमः। मंत्र का जप करें.
- तुलसी माता पर पंचामृत या गंगाजल से छिड़काव करें और हल्दी, सिंदूर, चंदन, फूल, अक्षत अर्पित करें. इसके बाद हाथ जोड़कर ॐ तुलस्यै हरिप्रिये नमः मंत्र का जप करें. अब शालिग्राम भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और पीले वस्त्र पहनाएं. हाथ जोड़कर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें.
- अब कन्यादान की तैयारी करें. परिवार की महिलाएं तुलसी माता का कन्यादान करती हैं. कन्यादान के बाद तुलसी और शालिग्राम के बीच पवित्र धागा बांधें. ॐ श्रीवृंदा तुलसीदेवी, श्रीहर्यर्थे समर्पयामि। मंत्र जप करें. अर्थात – हे तुलसी! मैं तुम्हारा श्रीहरि विष्णु को दान कर रहा या रही हूं.
- अब तुलसी-शालीग्राम के फेरे की तैयारी करें. तुलसी और शालिग्राम के चारों ओर सात बार प्रदक्षिणा करें. प्रत्येक फेरे के साथ ॐ नमो नारायणाय मंत्र का उच्चारण करें. अंत में तुलसी-शालिग्राम की आरती करें और 11 या 21 दीपक जलाएं. भगवान को पंचामृत, गुड़, बताशा, तुलसीदल, पंजीरी अर्पित करें. प्रसाद को प्रसाद परिवार व अतिथियों में बांट दें.
तुलसी-शालीग्राम विवाह के प्रमुख मंत्र
ॐ तुलस्यै नमः – तुलसी माता की आराधना के लिए.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय – भगवान विष्णु की उपासना के लिए।
ॐ श्रीं ह्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः – लक्ष्मी-नारायण की संयुक्त आराधना के लिए.
विवाह मंत्र:
तुलसीकान्ताय नमः, तुलसीपतये नमः, विवाहं संप्रदधामि नमः।

तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।। – मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता। -मैय्या जय तुलसी माता।।बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता। – मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता। -मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। – मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी। प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता। मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥ – मैय्या जय तुलसी माता।।
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https://hindi.news18.com/news/dharm/tulsi-vivah-2025-today-in-tripushkar-yog-know-tulsi-shaligram-vivah-ka-muhurat-and-tulsi-vivah-vidhi-with-mantra-bhog-and-tulsi-ji-ki-aarti-ws-kl-9804685.html







