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Ugratara Devalaya ShaktiPeeth temple of Guwahati | mystery and importance of Maa Ugratara ShaktiPeeth | इस शक्तिपीठ में प्रतिमा नहीं पानी से भरे मटके की होती है पूजा, यहां से सभी को मिलती हैं सिद्धियां


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Ugratara ShaktiPeeth: असम के गुवाहाटी में कामख्या के अलावा एक और शक्तिपीठ है, जिसका संबंध बौद्ध धर्म से भी है. मान्यता है कि इस शक्तिपीठ के दर्शन करने मात्र से तंत्र-मंत्र समेत सभी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है और माता का आशीर्वाद भी मिलता है. यह ऐसा शक्तिपीठ हैं, जहां पानी से भरे मटके की पूजा होती है. आइए जानते हैं शक्तिपीठ उग्रतारा के बारे में…

इस शक्तिपीठ में प्रतिमा नहीं इस चीज की होती पूजा, यहीं से मिलती हैं सिद्धियां

Maa Ugratara ShaktiPeeth: भगवान शिव और मां पार्वती को संसार में सबसे पूज्यनीय माना गया है. अच्छे दाम्पत्य जीवन के लिए और संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव और मां पार्वती को पूजा जाता है. माना जाता है कि अग्नि में भस्म होने के बाद जहां-जहां मां सती के अंग गिरे थे, वहां शक्तिपीठ मंदिरों का निर्माण हुआ. श्री-श्री उग्रतारा मंदिर असम के गुवाहाटी में शक्तिपीठ मंदिर है, जहां मां पानी से भरे मटके के रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर में माता रानी के दर्शन करने मात्र से ही तंत्र-मंत्र, जादू-टोना और सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है और माता की कृपा भी प्राप्त होती है. साथ ही मां की कृपा से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और हर कार्य में सफलता मिलती है. आइए जानते हैं शक्तिपीठ उग्रतारा के बारे में…

उग्रतारा शक्तिपीठ का महत्व
उग्रतारा शक्तिपीठ को लेकर मान्यता है कि बिना माता के आज्ञा के कोई भी सिद्धि पूरी नहीं होती है. आम भक्तों के अलावा यहां कई तांत्रिक भी आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि वशिष्ठ ने माता को बेहद उग्रतप से प्रसन्न किया था इस वजह से माता का नाम उग्रतारा पड़ा. यहां माता के दर्शन करने मात्र से ही उग्र से उग्र परेशानियों का अंत हो जाता है और हर कार्य पूरा होता है. वैसे तो यहां साल भर इस शक्तिपीठ में भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्रि के दिनों में खास माहौल देखने को मिलता है.

मंदिर की पौराणिक कथा
श्री-श्री उग्रतारा मंदिर गुवाहाटी के पूर्वी भाग में उजान बाजार के पास बना है. ये मंदिर अपनी पौराणिक कथा की वजह से बहुत प्रसिद्ध है. माना जाता है कि अग्नि में भस्म होने के बाद माता सती की नाभि इसी मंदिर में गिरी थी. इस मंदिर की खासियत है कि यहां किसी प्रतिमा नहीं, बल्कि पानी से भरे मटके की पूजा होती है. यहां माता सती की सुरक्षा के लिए खुद भगवान शिव विराजमान हैं. मां के मंदिर के पास पीछे की तरफ भगवान शिव का मंदिर विराजमान है. भक्तों के बीच मान्यता है कि मां उग्रतारा के दर्शन तभी पूरे माने जाते हैं जब भगवान शिव के दर्शन कर लिए जाएं.

शक्तिपीठ का बौद्ध धर्म से संबंध
किंवदंतियों में शक्तिपीठ को बौद्ध धर्म से भी जोड़ा गया है. माना जाता है बौद्ध धर्म में पूजे जाने वाले देवी-देवता एका जटा और तीक्ष्ण-कांता मां उग्रतारा का ही रूप हैं. एका जटा और तीक्ष्ण-कांता देवियों को बौद्ध धर्म में तंत्र की देवी कहा गया है. इसी वजह से इस मंदिर में तांत्रिक पूजा भी की जाती है. बौद्ध धर्म से जुड़े लोग भी मां उग्रतारा की पूजा करते हैं और अपनी तांत्रिक सिद्धियों को सफल करने के लिए आते हैं.

तंत्र क्रिया से मां को प्रसन्न करने की करते हैं कोशिश
नवरात्रि के मौके पर भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति पर जंगली जानवरों की बलि देते हैं और मां को तंत्र क्रिया से प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. इस शक्तिपीठ मंदिर का निर्माण साल 1725 में अहोम साम्राज्य के राजा शिव सिंह ने कराया था. राजा शिव सिंह ने अपने काल में बहुत सारे हिंदू मंदिरों का निर्माण कराया था. भूकंप की वजह से मंदिर टूट भी गया था, लेकिन बाद में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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इस शक्तिपीठ में प्रतिमा नहीं इस चीज की होती पूजा, यहीं से मिलती हैं सिद्धियां


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