Vaishakh Month 2025: वैशाख माह की शुरुआत 13 अप्रैल से हो चुकी है और 12 मई को पूर्णिमा के दिन इस माह का समापन होगा. हिंदू धर्म-शास्त्रों के अनुसार, वैशाख माह का विशेष महत्व माना जाता है. इस महीने कई बड़े व्रत-त्योहार पड़ते हैं जो की इसके महत्व को ओर भी बढ़ा देते हैं. इस माह में जप, तप और ध्यान आदि का भी विशेष महत्व माना जाता है.
यह माह धार्मिक मान्यताओं से जितना खास है उतना ही महत्वपूर्ण पर्यावरण की दृष्टि से भी है. इस माह में पक्षियों को अन्न जल दान कर बहुत शुभ होता है. इस माह में ही अक्षय तृतीया और बुद्ध पूर्णिमा जैसी शुभ तिथियां पड़ती हैं. ऐसे में आइए भगवताचार्य पंडित राघवेंद्र शास्त्री से शास्त्रों के अनुसार वैशाख माह का महत्व जानते हैं.
स्कंदपुराण के अनुसार
न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंङ्गया समम्।।
स्कंद पुराण का यह श्लोक वैशाख मास का महत्व बताता है. श्लोक में इस बात का वर्णन मिलता है है कि वैशाख मास के समान कोई मास नहीं है, सतयुग के जैसा कोई युग नहीं है, वेदों के जैसा कोई शास्त्र नहीं है और गंगा नदी जैसी पवन कोई नहीं है. इस माह में ही अक्षय तृतीया का त्योहार आता है, जिसमें मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है, जिससे प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी जातक को धन-धान्य से समृद्ध करती हैं और उनपर सदैव अपना आशीर्वाद बनाकर रखती हैं.
पद्मपुराण के अनुसार वैशाख मास की महिमा
यथोमा सर्वनारीणां तपतां भास्करो यथा ।आरोग्यलाभो लाभानां द्विपदां ब्राह्मणो यथा।।
परोपकारः पुण्यानां विद्यानां निगमो यथा।मंत्राणां प्रणवो यद्वद्ध्यानानामात्मचिंतनम् ।।
सत्यं स्वधर्मवर्तित्वं तपसां च यथा वरम्।शौचानामर्थशौचं च दानानामभयं यथा ।।
गुणानां च यथा लोभक्षयो मुख्यो गुणः स्मृतः।मासानां प्रवरो मासस्तथासौ माधवो मतः ।।
पद्मपुराण के ये श्लोक बताते हैं कि जिस तरह सम्पूर्ण देवियों में पार्वती, तेज वालों में सूर्य, लाभ में आरोग्यलाभ, मानवों में ब्राह्मण, पुण्यों में परोपकार, विद्याओं में वेद, मन्त्रों में प्रणव, ध्यानों में आत्मचिंतन, तपस्याओं में सत्य और स्वधर्म-पालन, शुद्धियों में आत्मशुद्धि, दानों में अभयदान तथा गुणों में लोभ का त्याग ही सबसे श्रेष्ठ माना गया है उसी प्रकार सभी माह में वैशाख माह अत्यंत उत्तम है.
वैशाख मास में करने योग्य कार्य
वैशाख मास में व्यक्ति को सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए.स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें. इस मास में भगवान विष्णु को पंचामृत से अभिषेक करना भी शुभ होता है. इसके अलावा वैशाख के महीने में तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को दीपक जरूर जलाएं. शिवलिंग पर जल व काले तिल चढ़ाएं और उनके समक्ष श्रीराम नाम का 108 बार जाप करें. मंदिर में मटका, पंखा, छाता या जूते-चप्पल का दान करें.साथ ही प्याऊ लगवाना इस महीने का सर्वश्रेष्ठ पुण्यकर्म माना गया है.
क्या न करें
वैशाख मास में देर तक सोने से बचें, सूर्योदय से पहले अवश्य उठ जाना चाहिए. इस मास पुराना और भारी खाना नहीं खाना चाहिए केवल हल्का व ताजा भोजन लेना चाहिए. धूप में बेवजह घूमने से बचें और जरूरत हो तो छाता साथ रखें.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/dharm/vaishakh-month-2025-know-the-importance-of-vaishakh-month-and-benefits-of-jal-anna-dhan-daan-ws-kl-9190039.html