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varaha jayanti 2024: क्या है भगवान विष्णु का तीसरा अवतार? जानें कैसे बचाया पृथ्वी को


जब-जब पृथ्वी पर संकट आया तब भगवान विष्णु ने समय-समय पर अनेकों अवतार लिए और उस अवतार के माध्यम से पृथ्वी के ऊपर आये उस गंभीर संकट का ख़त्म किया. हर अवतार का एक विशेष उद्देश्य था. हिरण्याक्ष राक्षस जब पृथ्वी का हरण करके उसे रसातल में ले जाकर छिप गया तो पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वराह रूप में अपना तृतीय अवतार लिया. आज 6 सितंबर 2024 को वराह जयंती है.

कौन था हिरण्याक्ष राक्षस
हिरण्याक्ष और हिरण्याकशिपु दो बहुत बड़े दैत्य थे, ये दोनों भाई माता दिति एवं महर्षि कश्यप की संतान थे. दोनों बहुत ही बलवान थे और दोनों ही संसार पर विजय पाकर अपराजेय योद्धा बनना चाहते थे. इस अहम में वो स्वयं को जगत पालनहार भगवान विष्णु से भी बलशाली एवं श्रेष्ठ समझने लगे.

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जब पृथ्वी का कर लिया हरण
एक बार स्वयं को संसार का सबसे बलशाली और श्रेष्ठ सिद्ध करने के चक्कर में हिरण्याक्ष राक्षस ने इस सम्पूर्ण पृथ्वी का हरण कर लिया. उसे पाताल लोक में ले जाकर छिपा दिया. पृथ्वी के हरण के पश्चात हर तरफ हाहाकार होने लगा, जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया, देवता चिंतित होने लगे.

ऐसे हुआ वराह का अवतार
हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर रसातल में छिपा दिया, तब भगवान ब्रह्मा जी की नाशिका से भगवान विष्णु वराह रूप में आठ अंगुल मात्र प्रकट हुए और देखते ही देखते बहुत ही विशाल पर्वत आकार का स्वरुप कर लिया. भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी आराधना एवं पुष्प वर्षा की. अपनी थूथनी की सहायता से वराह भगवान ने पृथ्वी का पता लगा लिया.

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जब वराह और हिरण्याक्ष में हुआ भीषण युद्ध
जब प्रभु पृथ्वी को लेने रसातल में पहुचे, तब उनके और हिरण्याक्ष राक्षस के बीच बहुत ही भीषण युद्ध हुआ. उस युद्ध के पश्चात भगवान विजयी हुए और पृथ्वी को अपने दांतों पर रखकर बाहर लेकर आये.
तत्पश्चात श्री हरि भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया और मार्गशीर्ष माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत कर उस जल का आचमन किया और उसके बाद द्वादशी तिथि में उसी जल में अपनी देह का त्याग कर प्रभू साकेत लोक चले गये.

उस जल को आदि गंगा कहा गया और उस स्थान को शूकर क्षेत्र कहा गया, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के कासगंज जनपद स्थित सोरों शूकर क्षेत्र नाम से विख्यात है. वराह अवतार के बारे में विस्तृत जानकारी वराह पुराण, भागवत गीता, विष्णु पुराण में दी गयी है. भगवान विष्णु का यह तीसरा परन्तु लोककल्याण के लिए यह पहला अवतार था, जिसमें उन्होंने पृथ्वी और वहाँ के निवासियों को बचाया.


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https://hindi.news18.com/news/dharm/lord-vishnu-third-avatar-varah-jayanti-2024-incident-related-to-safe-earth-varah-katha-in-hindi-8659506.html

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