Kasibugga Venkateswara Swamy Temple: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित काशी बुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक माना जाता है. यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. यहां हर एकादशी पर देशभर से हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करता है, उसके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है. काशी बुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का इतिहास करीब 600 साल पुराना बताया जाता है. इसका निर्माण विजयनगर साम्राज्य के समय हुआ था. स्थानीय मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना भगवान विष्णु के एक दिव्य स्वरूप के रूप में हुई थी, जो स्वयं यहां प्रकट हुए थे. मंदिर की दीवारों पर उस समय के सुंदर शिलालेख और नक्काशी आज भी मौजूद हैं, जो इसके गौरवशाली इतिहास की झलक दिखाते हैं.
क्यों कहा जाता है “पूर्व का तिरुपति”
यह मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर की तरह ही पूजा पद्धति और परंपराओं का पालन करता है. इसी कारण इसे “पूर्व का तिरुपति” भी कहा जाता है. यहां भगवान वेंकटेश्वर के साथ देवी पद्मावती और भगवान विष्णु के अन्य रूपों की भी पूजा की जाती है. भक्तों का मानना है कि यहां दर्शन करने से वही पुण्य प्राप्त होता है, जो तिरुपति बालाजी में दर्शन करने से मिलता है.

स्थापत्य और कला की मिसाल
मंदिर की बनावट प्राचीन द्रविड़ शैली में है, जिसमें पत्थर की नक्काशी और ऊंचे गोपुरम (मुख्य द्वार) इसकी पहचान हैं. मंदिर के गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की काले पत्थर से बनी मूर्ति स्थापित है, जो अत्यंत भव्य और शांत रूप में दिखाई देती है. मंदिर के चारों ओर बने छोटे-छोटे मंडपों और स्तंभों पर देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां उकेरी गई हैं.
धार्मिक महत्व
काशी बुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर का विशेष महत्व एकादशी, ब्रह्मोत्सव और वैकुंठ एकादशी जैसे पर्वों पर होता है. इन दिनों मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है. लोग मानते हैं कि एकादशी के दिन भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. श्रद्धालु नागावली नदी में स्नान करने के बाद मंदिर जाकर पूजा करते हैं, जिसे बेहद शुभ माना गया है.

आसपास की पौराणिक मान्यताएं
मंदिर के पास बहने वाली नागावली नदी को भी पवित्र माना जाता है. कहा जाता है कि इस नदी में स्नान कर भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य बढ़ता है. स्थानीय लोककथाओं में यह भी बताया गया है कि भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर भक्तों को दर्शन दिए थे.
सालभर चलने वाले उत्सव
यहां सालभर कई धार्मिक उत्सव मनाए जाते हैं, लेकिन ब्रह्मोत्सव और एकादशी सबसे खास माने जाते हैं. इस दौरान मंदिर में दीप सज्जा, भक्ति संगीत, विशेष आरती और प्रसाद वितरण होता है. दूर-दूर से आए श्रद्धालु इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनते हैं.
आस्था का प्रतीक
काशी बुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति का संगम भी है. यह मंदिर इस बात की मिसाल है कि कैसे सदियों पुरानी परंपराएं आज भी लोगों के विश्वास का केंद्र बनी हुई हैं. यहां पहुंचने वाले हर भक्त को न सिर्फ आध्यात्मिक शांति मिलती है बल्कि दक्षिण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव भी होता है.
यह मंदिर न सिर्फ श्रीकाकुलम की पहचान है, बल्कि यह बताता है कि श्रद्धा जब इतिहास से जुड़ती है, तो वह हर युग में अमर हो जाती है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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