Monday, December 8, 2025
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पुरानी दिल्‍ली की वो मशहूर हवेली, जिसके सामने राजा-महाराजा ‘फैलाते थे हाथ’,आज किस हाल में है और कौन है इसका रखवाला? जानें


नई दिल्‍ली. आजादी से पहले देश की तमाम रियासतों के राजा ही इलाके के नीति निर्धारक होते थे. समाजिक से लेकर आर्थिक तानाबाना उन्‍हीं के हाथों से चलता था. पर इनमें से कई राजा दिल्‍ली के एक सेठ से उधारी लेने के लिए उनके दरवाजे पर ‘हाथ फैलाते’ थे. इनकी रईसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि ये सेठ दिल्‍ली लंदन बैंक के प्रमुख शेयरधारकों में से एक थे. आइए जानते हैं कि यह कौन सी हवेली थी, इसके मालिक कौन थे और आज यह हवेली किस हाल में है?

जी हां, यहां बात चांदनी चौक मेन रोड पर बनी चुन्‍नामल हवेली की बात कर रहे हैं. इसके मालिक सेठ चुन्‍नामल थे. यह हवेली दो मंजिला है और इसमें इसमें पहली मंजिल में 128 कमरे और नीचे 130 दुकानें हैं. पूरी हवेली 2800 गज में बनी है. हालांकि मौजूदा समय ज्‍यादातर कमरे बंद हैं. केवल 20 कमरें ही खुले हैं. चांदनी चौक जैसे इलाके में 20 कमरे होना ही आपने आप में बड़ी बात है.

हवेली के ज्‍यादातर लोग विदेश में हुए शिफ्ट

मौजूदा समय इस हवेली में चुन्‍नामल की छठवीं पीढ़ी के अनिल कुमार ही अपने परिवार के साथ रहते हैं. यही इसकी देखरेख कर रहे हैं. अन्‍य लोग बाहर निकल गए हैं. इनमें से कुछ विदेश तो कुछ देश के अलग अलग शहरों में बस गए हैं. कुछेक दिल्‍ली में ही दूसरे इलाकों में रहते हैं. लेकिन सभी कमरों में परिवार के लोगों के ताले बंद हैं.

161 साल पुरानी है यह हवेली

अनिल कुमार बताते हैं कि हवेली का निर्माण कब शुरू हुआ है, यह तो पता नहीं है लेकिन 1964 में यह पूरी तरह बनकर तैयार हुई है. इमारत के एक कमरे में फारसी में खिला पत्‍थर लगा है,जिसमें निर्माण का साल 1864 लिखा है. यह हवेली एक साथ नहीं बनी है. जैसे-जैसे जरूरत पड़ती गयी, कमरों का निर्माण होता गया. पुराने दस्‍तावेजों में 1850 में इस हवेली का नक्‍शा दर्ज है.

चुन्‍नामल का कारोबार विदेशों तक फैला था

चुन्‍नामल बैंकर (साहूकार) थे, साथ ही कपड़ों का कारोबार भी था, जो देश के साथ साथ विदेशों तक में फैला था. साहूकार होने की वजह से राजा महाराजा उधारी लेने उनके पास आते थे.

सोने चांदी का खरीद और बेच सब्जियों की तरह

पर्दा प्रथा होने की वजह से महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थीं. सोना-चांदी, हीरा-जवाहरात जो भी खरीदना और बेचना होता था, नौकर ही बाजार से लाते थे. जिस तरह वे सब्जियां लाते थे, उसी तरह सोना चांदी भी नौकर ही खरीदते-बेचते थे.


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https://hindi.news18.com/news/delhi/old-delhi-chunnamal-ki-haveli-raja-maharaja-i-queue-for-loan-know-here-9704979.html

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