रामकुमार नायक, रायपुरः- छत्तीसगढ़ के बस्तर का नाम पूरे देश में चर्चा का विषय बना रहता है. छत्तीसगढ़ का नाम लेते ही सबसे पहले बस्तर का ही ख्याल आता है. दरअसल बस्तर की लोक कला संस्कृति और अनूठी परंपरा आज भी कायम है. अब देश के 28 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर की ‘आदिम जनसंसद- मुरिया दरबार’ को इस साल नई दिल्ली में होने वाले गणतंत्र-दिवस परेड के लिए चयनित कर लिया गया है. नई-दिल्ली स्थित कर्तव्यपथ पर होने वाले परेड के लिए 28 में से 16 राज्यों का चयन किया गया है. झांकी का अनूठा विषय और डिजाइन रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति को रिझाने में कामयाब रहा.
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम ‘भारत लोकतंत्र की जननी’ पर आधारित है. यह झांकी जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाती है, जो आजादी के 75 साल बाद भी राज्य के बस्तर संभाग में जीवंत और प्रचलित है. इस झांकी में केंद्रीय विषय ‘आदिम जन-संसद’ के अंतर्गत जगदलपुर के ‘मुरिया दरबार’ और उसके उद्गम-सूत्र लिमऊ-राजा को दर्शाया गया है. मुरिया दरबार विश्व-प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की एक परंपरा है,जो 600 सालों से चली आ रही है. रियासत काल से लोकतांत्रिक परंपराओं का निर्वाह करने वाले मुरिया दरबार को बस्तर का संसद भी कहा जाता है.
नींबू् से क्यों लिया जाता था निर्णय
जनसंपर्क विभाग छत्तीसगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार इस परंपरा का उद्गम सूत्र कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमऊ-राजा नामक स्थान पर मिलता है. इस स्थान से जुड़ी लोककथा के अनुसार आदिम-काल में जब कोई राजा नहीं था, तो आदिम-समाज एक नींबू को राजा का प्रतीक मानकर आपस में ही निर्णय ले लिया करता था. झांकी की थीम व डिजाइन स्थानीय स्तर पर वृहद अन्वेषण और वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में तैयार की गई. इस विषय वस्तु पर आधारित झांकी को पांच चरणों की कठिन प्रक्रिया के बाद अंतिम स्वीकृति मिली है. रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति के सामने थीम और डिजाइन के चयन के बाद झांकी का थ्रीडी मॉडल प्रस्तुत किया गया. अंत में संगीत चयन के साथ ही झांकी को अंतिम स्वीकृति मिल गई. झांकी की थीम और डिजाइन ने चयनकर्ताओं को काफीआकर्षित किया.
ऐसे होता है झांकियों का सेलेक्शन
परेड में शामिल होने वाली झांकियों के लिए सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालय और विभागों से रक्षा मंत्रालय प्रस्ताव मांगता है. इन प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जाता है. झांकियों के चयन के लिए विशेषज्ञ समिति के साथ विभिन्न चरणों में कई बैठक होती हैं. कमेटी में कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला के क्षेत्र से जुड़े कई प्रतिष्ठित व्यक्ति, कोरियोग्राफर शामिल रहते हैं. विशेषज्ञ समिति, थीम के आधार पर प्रस्तावों की जांच करती है. सिफारिश करने से पहले कमेटी द्वारा अवधारणा, डिजाइन और इसके दृश्य प्रभाव पर ध्यान दिया जाता है.
FIRST PUBLISHED : January 5, 2024, 12:13 IST
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