अर्पित बड़कुल/दमोह: मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र अपनी प्राचीन परंपराओ को आज भी जीवित रखे हुए है.यहीं परंपरा हमारी संस्कृति को प्रदर्शित करती है. दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के अजीतपुर खमरिया ग्राम में दीपोत्सव के बाद से ही गांव के पटेल या जमीदार आस पास के करीब 50 गावों में मुनादी करवाते हैं. दीवारी के सातवें दिन चंडी माता के दरबार में ग्वाल समाज के लोग भारी संख्या में अलग अलग दीवारी गायन की टोलियां लेकर चंडी माता के दरबार में इकट्ठा हो सकें.जिसको लेकर आस पास की करीब 2 एकड़ जमीन को खाली करवाया जाता है.ताकि यहां दर्जनों गांव से आई ग्वालों की टोलियां दीवारी गायन, दीवारी नृत्य और मेला का आयोजन हो सके.ग्वाल समाज के लोग पैरों में घुंघरू, कमर में ढोलक, तारे, झूले और हाथों में कुल्हाड़ी लेकर नाचते हैं.
गांव के बुजुर्ग रमेश यादव ने कहा कि यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.जहां गांव के पटेल आस पास के करीब 50 गावों में ग्वालों को निमंत्रण देते हैं ताकि ग्वाले अलग अलग टोली लेकर दीवारी के सातवें दिन चंडी माता के दरबार मे ढोलक और दिवाली नृत्य की सामग्री लेकर पंहुचे.पहले परंपरागत ढंग से चंडी माता का पूजन किया जाता हैं. जिसके बाद करीब 2 बजे से दिवारी नृत्य, ग्वाल गायन किया जाता है.इतना ही नहीं इस मेले में एक दर्जन ग्राम के लोग शामिल होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. जहां मिष्ठान भंडार से लेकर तरह तरह से झूले,बर्तनों की दुकाने सजी हुई होती है.
बुंदेलखंड की है प्राचीनतम परंपरा
पुरात्व अधिकारी डॉ सुरेंद्र चौरसिया ने कहा कि बुंदेलखंड में प्राचीनतम परंपरा रही है.कि गौ सेवा, गौ संरक्षण और गौ माता की महत्वता को प्रदर्शित करते हुए बुंदेलखंड की परंपरा अनुसार एक जाति संप्रदाय द्वारा यादव संप्रदाय के लोग गायों को पालने का काम अधिक मात्रा में करते आए हैं यही एक प्राचीन परंपरा बनी आई है कि यादव समाज के लोग जिन्हें स्थानीय लोग दौआ भी लोग कहते है.जिनके द्वारा दीवारी के सातवें दिन दीवारी नृत्य,गायन कर लोगों में खुशी और उत्साह का माहौल बनाने के लिए यह गायन किया जाता है.जो देश का अलौकिक गायन और नृत्य माना जाता है.
FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 16:53 IST
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/dharm/the-old-tradition-is-still-alive-in-this-village-7841404.html