Last Updated:
Hazaribagh News: हजारीबाग के झारक्राफ्ट केंद्र में जुट उत्पादों पर सोहराय कला की चित्रकारी से वैश्विक पहचान मिल रही है. यह केंद्र महिला कारीगरों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बना रहा है.

हजारीबाग
हाइलाइट्स
- झारक्राफ्ट केंद्र में जुट उत्पादों पर सोहराय कला की चित्रकारी हो रही है
- महिला कारीगर जुट उत्पादों से आत्मनिर्भर बन रही हैं
- झारक्राफ्ट उत्पादों की मांग देश-विदेश तक बढ़ी है
हजारीबाग: हजारीबाग के सदर प्रखंड के सारले स्थित झारक्राफ्ट केंद्र इन दिनों झारखंड की पारंपरिक सोहराय कला को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है. यह केंद्र न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को सहेज रहा है, बल्कि महिला कारीगरों और स्थानीय कलाकारों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है. यहां एक दर्जन से अधिक महिला कारीगर जुट से बने बैग, पर्स, फाइल कवर, हैंडबैग, कप कवर जैसे 20 से अधिक प्रकार के उत्पाद तैयार करती हैं. इन उत्पादों पर सोहराय आर्ट की खूबसूरत चित्रकारी की जाती है, जिससे ये वस्तुएं बाजार में अलग पहचान बना रही हैं.
जुट के ऊपर इस कला के माध्यम से अब न केवल झारखंड की संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो रहा है, बल्कि इससे जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर भी हो रही हैं. झारक्राफ्ट के मैनेजर मनीष तिर्की बताते हैं कि पिछले 15 वर्षों से झारक्राफ्ट में जुट के बैग और अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं. शुरू में ये बैग साधारण डिजाइन के होते थे, लेकिन जब झारखंड की सोहराय कला को जीआई टैग प्राप्त हुआ, तो हमने इसे जुट उत्पादों पर उतारना शुरू किया. उन्होंने बताया कि आज झारक्राफ्ट से जुड़े 50 से अधिक कलाकार इन उत्पादों पर सोहराय पेंटिंग कर रहे हैं, जिनकी मांग देश-विदेश तक बढ़ रही है. इन उत्पादों को सरकार की मदद से देश सहित विदेशों तक के बाजारों में बेचा जा रहा है.
12 से 15 हजार तक कमाई
बैग निर्माण में लगी महिला कलाकार मीना देवी बताती हैं पहले हमलोग घर के काम में व्यस्त रहा करते थे. धीरे-धीरे इस केंद्र से जुड़ने के बाद जुट कला से जुड़े और जुट के उत्पाद निर्माण करने लग गए. अब हम खुद बैग बनाकर उस पर यह सोहराय चित्रकारी भी करते हैं. इससे हमारी आमदनी भी बढ़ी है. उन्होंने यह भी बताया कि पहले घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन अब हर महीने 12 से 15 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है. अपना खर्च खुद चलाते है इससे बेहद खुशी होती है.
झार क्राफ्ट में जहां एक दर्जन से अधिक कारीगर जुट के उत्पादों का निर्माण करते हैं. वहीं, 30 से अधिक महिलाएं इन उत्पादों के ऊपर सोहराय और कोहबर की चित्रकारी करती हैं. इससे न केवल उत्पाद देखने में सुंदर होता है बल्कि बाजार में इसकी मांग भी बढ़ जाती है.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/culture-jharkraft-sohrai-art-gains-global-recognition-employs-women-artisans-sohrai-art-on-jute-products-hazaribagh-news-local18-ws-kl-9265521.html