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कांगड़ा पेंटिंग से है प्रधानमंत्री मोदी का खास जुड़ाव, इतिहास जान होगा गर्व



कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश: सदियों पुरानी कांगड़ा पेंटिंग एक बार फिर सुर्खियों में है. भारत की इस ऐतिहासिक कला को न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा रहा है. हाल ही में मुंबई में एक प्रमुख कला नीलामी में कांगड़ा पेंटिंग 15 करोड़ रुपये में बिकी, और गीत गोविंद पर आधारित अगली पेंटिंग 16 करोड़ रुपये में. यह इस बात का प्रमाण है कि कांगड़ा पेंटिंग अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता के कारण आज भी प्रासंगिक है.

कांगड़ा पेंटिंग का इतिहास
कांगड़ा पेंटिंग की जड़ें 17वीं और 18वीं शताब्दी में गहराई से जुड़ी हैं. इसका विकास पंडित सेऊ और उनके बेटे नैनसुख और मनकू के नेतृत्व में हुआ.

गुलेर और कांगड़ा रियासतों का योगदान:
कांगड़ा और गुलेर के महाराजाओं ने इस चित्रकला को संरक्षित और प्रोत्साहित किया.
प्रसिद्ध संग्रहालयों में प्रदर्शन:
कांगड़ा और गुलेर की लघु चित्रकला को आज लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट संग्रहालय, स्विट्जरलैंड के रीटबर्ग संग्रहालय ज्यूरिख, चंडीगढ़ के राष्ट्रीय कला संग्रहालय, और लाहौर के संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांगड़ा पेंटिंग का संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांगड़ा पेंटिंग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर विशेष स्थान दिलाया है.

नेपाल के प्रधानमंत्री को भेंट:
2022 में, प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा को मानसून और राधा-कृष्ण के प्रेम को दर्शाने वाली कांगड़ा पेंटिंग भेंट की.
हिमाचल की संस्कृति का प्रचार:
यह भेंट न केवल हिमाचल प्रदेश की समृद्ध कला को दुनिया तक पहुंचाने का प्रयास था, बल्कि यह मोदी का हिमाचल से उनके गहरे जुड़ाव को भी दर्शाता है.
अन्य अवसरों पर हिमाचल से जुड़ी स्मृतियां:
इससे पहले भी मोदी हिमाचल से जुड़े उत्पाद और स्मृति चिह्न भेंट कर चुके हैं, जो हिमाचल की संस्कृति और परंपरा को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
कांगड़ा पेंटिंग की विशेषताएं
विषयवस्तु:
कांगड़ा पेंटिंग में राधा-कृष्ण, भारतीय पौराणिक कथाएं, और प्राकृतिक दृश्य जैसे मानसून, प्रेम, और ग्रामीण जीवन को दर्शाया जाता है.
तकनीक और शैली:
इस कला में रंगों की जीवंतता, बारीक ब्रशवर्क, और प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, जो इसे अन्य भारतीय लघु चित्रकला शैलियों से अलग बनाता है.
धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भ:
यह पेंटिंग भारतीय संस्कृति के गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों को दर्शाती है.
स्थानीय कलाकारों का प्रयास
स्थानीय कलाकार मोनू कुमार का कहना है कि कांगड़ा पेंटिंग को जीवित रखना एक बड़ी चुनौती है.

उन्होंने कहा कि यह कला हमारी समृद्ध धरोहर है, और इसे बचाने के लिए हम सालों से प्रयासरत हैं.

कला के प्रशिक्षण पर जोर:
मोनू कुमार स्थानीय लोगों और युवाओं को कांगड़ा पेंटिंग का प्रशिक्षण देकर इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.
कांगड़ा पेंटिंग की वर्तमान स्थिति
कांगड़ा पेंटिंग को लेकर वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ रही है. मुंबई की नीलामी में इसके ऊंचे दाम और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इसे भेंट किए जाने से यह साफ हो गया है कि यह कला आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/culture-kangra-painting-history-pm-modi-connection-cultural-heritage-local18-8932640.html

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