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PM Modi Play Drum: प्रधानमंत्री इथोपिया की अपनी यात्रा के दौरान एदीस अबाबा के अदवा विक्ट्री मेमोरियल एंड म्यूजियम भी गए जहां उन्होंने अफ्रीक संस्कृति ऐतिहासिक विरासतों से रूबरू हुए. इसी क्रम में वहां पर उन्होंने एक विशालकाय ढोल को बजाया. क्या आप जानते हैं कि यह ढोल इतना बड़ा क्यों है और इसकी क्या मान्यताए हैं.
PM Modi Play Drum: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन देशों की यात्रा के आखिरी पड़ाव में है. इस बीच वे अफ्रीकी देश इथोपिया में हैं जहां उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान से नवाजा गया है. इथोपिया की अपनी यात्रा में वे वहां की मशहूर अदवा विक्ट्री मेमोरियल एंड म्यूजियम भी गए. यह म्यूजियम अत्याधुनिक वास्तुशिल्प डिजाइन के लिए जाना जाता है. यह एदिस अबाबा सिटी एडमिनिस्ट्रेशन परिसर के बेहद निकट स्थित है और इथोपिया व अफ्रीका के इतिहास में अपनी तरह का पहला स्मारक है. अदवा विजय स्मारक उस वीरता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जिसे अश्वेत अफ्रीका ने औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ प्रदर्शित किया.आपने देखा होगा कि इस म्यूजियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशालकाय ढोल को बजाया. क्या आपने पहले इतना बड़ा ढोल देखा था. आखिर इतने विशालकाय ढोल का क्या मतलब है. दरअसल, इसका बेहद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है. आइए इसके बारे में जानते हैं.
विशालकाय ढोल का क्या महत्व है
दरअसल, यह विशालयकाय ढोल दुश्मनों के खिलाफ इथोपिया या अफ्रीकी युद्धकला रणनीति का प्रतीक है. जब अफ्रीकी महाद्वीप को औपनिवेशिक शक्तियों ने डार्क कॉन्टिनेंट कहकर बदनाम किया तब इथोपिया पहला देश था जिसने इन शक्तियों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाया. 1 मार्च 1896 को ऐतिहासिक अदवा के युद्ध में इथोपियाई सैनिकों ने इटली की सेना को धूल चटा दिया और अफ्रीका का पहला देश बन गया जिसने औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेंक दिया. उसने उस दौर में अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को सुरक्षित रखा. अदवा विजय संग्राहालय में रखी गई हर वस्तु इस विजय गाथा की प्रतीक स्वरुप है. यह विशाल ढोल इथोपिया के उसी अदवा युद्ध से जुड़ा हुआ है. इस युद्ध में जब इथोपिया ने इटली की औपनिवेशिक सेना को हराया था तब इस ढोल ने अपने सैनिकों को संदेश भेजने और और संचार का बेहतर इस्तेमाल करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वास्तव में यह विशालयकाय ढोल गर्जना वाली आवाज निकालती थी. ढोल के हर रिद्म से सैनिकों को एक खास संदेश मिलता था और इस हिसाब से वे अपनी रणनीति को अंजाम देते थे. इसलिए यह ढोल उस विजय गाथा के प्रतीक स्वरूप इस म्यूजियम में रखे गए हैं. यह ढोल इथोपिया की आजादी और गौरव का प्रतीक है. इसके साथ ही यह औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ अफ्रीका के प्रतिरोध की याद दिलाता है और युवाओं को अपने इतिहास और स्वाभिमान से जोड़ता है.

इथोपिया के म्यूजियम में ढोल बजाते पीएम नरेंद्र मोदी.
इस ढोल का सांस्कृति महत्व
इथियोपिया में बड़े ढोल की गहरी सांस्कृतिक मान्यता है. इसे शाही युग से भी जोड़ा जाता है. माना जाता है कि नेगारीत नामक प्रसिद्ध ढोल इथियोपियाई सम्राटों का प्रतीक था,जो युद्धों,समारोहों और धार्मिक आयोजनों में बजाया जाता था. संग्रहालय में यह ढोल अफ्रीकी प्रतिरोध और स्वतंत्रता की भावना को जीवंत करता है. पुराने समय में ऐसे बड़े ड्रमों का इस्तेमाल युद्ध की घोषणा,सैनिकों को इकट्ठा करने और रणनीतिक संदेश देने के लिए किया जाता था. ड्रम की तेज़ और गूंजती आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती थी, जिससे सैनिकों में जोश, एकता और साहस पैदा होता था. अमूमन अफ्रीकी देशों में इस तरह के ढोल आज भी मिल जाएंगे. वैसे अफ्रीका में बड़े ढोलों का चलन आज भी है. पीएम मोदी जब भी अफ्रीकी देश जाते हैं, उन्हें अधिकांश देशों में इस तरह के ढोल बजाने का मौका मिलता है.
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Excelled with colors in media industry, enriched more than 19 years of professional experience. Lakshmi Narayan is currently leading the Lifestyle, Health, and Religion section at Bharat.one. His role blends in-dep…और पढ़ें
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