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समस्तीपुर में सालों से एक अद्भुत मेले का आयोजन होता है. इस मेले में लोग सांप के साथ जमकर मस्ती करते हुए दिखते हैं जैसे वह कोई जहरीला जीव नहीं बल्कि उनका दोस्त हो. आइए देखते हैं ये खास रिपोर्ट….
सर्कस मत समझिए भक्ति का अलग ही अंदाज है
यह नज़ारा किसी सर्कस से कम नहीं होता. कोई सांप को कंधे पर रखे गले की माला बना रहा है, तो कोई मुंह में पकड़कर स्टंट कर रहा है, जैसे नागिन डांस की रिहर्सल चल रहा हो. भगत राम सिंह तो इतने प्रो लेवल के कलाकार हैं कि मंदिर से दर्जनों ज़िंदा सांप लेकर बाहर निकलते हैं जिसे देखकर जोरदार तालियां बजाती है. उनका कहना है कि यह कला उन्हें विरासत में मिली है- उनके दादा जी भी यही करतब दिखाते थे. लेकिन सवाल यही है कि बाकी लोग कहां से ट्रेनिंग लेते हैं? कोई सर्प विज्ञान की डिग्री लेकर आता है या नागिन फिल्म देखकर सीखा है? मज़ेदार बात ये है कि यहां लोग सांप को इतने आराम से पकड़ते हैं जैसे बच्चा चॉकलेट उठा रहा हो. कोई डर नहीं, कोई टेंशन नहीं — बस श्रद्धा और सस्पेंस का अनोखा संगम.
बेहद अजीब है ये आयोजन
अब आप सोच रहे होंगे कि यह सांप आखिर किसी को काटता क्यों नहीं है? भगत जी ने इसका जवाब बहुत ही देसी टच के साथ दिया. उनके मुताबिक यहां की पूरी सांप प्रजाति भक्ति में लीन है. मेले में आए लोग भी इतनी सहजता से सांप को पकड़ते हैं कि जैसे कह रहे हों ,डर किस बात का? ये तो अपने मोहल्ले का नाग है. महिलाएं, बच्चे, बूढ़े सब नदी में उतरते हैं और ज़िंदा सांप लेकर निकलते हैं. कहीं सांप किसी के गले में तो किसी के बाजू में लिपटा हुआ मिलता है और फोटो खिंचवाने की होड़ मची रहती है. समस्तीपुर का ये मेला अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि देश-दुनिया के लिए एक विस्मय और मनोरंजन का संगम बन चुका है जहां सांप श्रद्धा और स्टन्ट तीनों का तड़का एक साथ लगता है.
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