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हैदराबाद और सिकंदराबाद: जुड़वां शहरों का इतिहास, संस्कृति और पहचान.


हैदराबाद. सिकंदराबाद को हैदराबाद का जुड़वां शहर कहने की मुख्य वजह उनका एक साथ विकसित होना है, लेकिन एक-दूसरे से पूरी तरह अलग शासन, संस्कृति और चरित्र रखना भी है. यह रिश्ता एक शासक की राजधानी और एक सैन्य छावनी का था, जो समय के साथ चलकर आज के एकीकृत महानगर का हिस्सा बन गया, लेकिन अपनी विशिष्ट पहचान को कायम रखा.

इतिहासकार शमीउद्दीन के अनुसार, हैदराबाद की स्थापना 1591 में मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने की थी और यह गोलकुंडा सल्तनत की राजधानी था. बाद में यह शहर मुगल साम्राज्य और फिर हैदराबाद रियासत की राजधानी बना, जिस पर आसफ़ जाही निज़ामों का शासन था. हैदराबाद निज़ाम की संपदा, संस्कृति और शासन का केंद्र था, यह एक स्वतंत्र रियासत की राजधानी के रूप में विकसित हुआ.

सिकंदराबाद: ब्रिटिश छावनी का जन्म
सिकंदराबाद की शुरुआत 1806 में हुई, तत्कालीन निज़ाम मीर अकबर अली खान उर्फ सिकंदर जाह ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक सहायक संधि, यानी Subsidiary Alliance, पर हस्ताक्षर किए, इस संधि के एक हिस्से के तहत निज़ाम ने अपने राज्य के उत्तर-पूर्वी हिस्से में कुछ भूमि ब्रिटिश सेना को स्थायी सैन्य छावनी बनाने के लिए दे दी. इस नई छावनी का नाम तत्कालीन निज़ाम सिकंदर जाह के नाम पर सिकंदराबाद रखा गया. इस प्रकार सिकंदराबाद मूल रूप से एक ब्रिटिश सैन्य ठिकाना और प्रशासनिक केंद्र था.

विभाजन और जुड़वांपन का एहसास
आगे उन्होंने बताया कि यहीं से दोनों शहरों के बीच स्पष्ट विभाजन की शुरुआत हुई, जिसने उन्हें जुड़वां बना दिया. एक तरफ था हैदराबाद – निज़ाम के शासन वाला शहर, जहां चारमीनार, मक्का मस्जिद और लाड बाज़ार जैसी इमारतें थीं, जो एक समृद्ध मुग़लई-दक्खनी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती थी. दूसरी तरफ था सिकंदराबाद – एक सुव्यवस्थित छावनी, जहां सैन्य छावनियां, चर्च, चौड़ी और सीधी सड़कें थी और एक अलग, अधिक अंग्रेज़ जैसा माहौल था. भले ही दोनों शहर एक-दूसरे से सटे हुए थे, लेकिन उनकी पहचान, प्रशासन और संस्कृति पूरी तरह से अलग थी. यही विरोधाभास और निकटता ने उन्हें जुड़वां शहर का दर्जा दिया.

आज एक शहर, दो पहचान
1948 में हैदराबाद रियासत के भारत में विलय और 1956 में हैदराबाद को आंध्र प्रदेश (आज तेलंगाना) की राजधानी बनाए जाने के बाद प्रशासनिक विभाजन समाप्त हो गया. आज हैदराबाद और सिकंदराबाद एक ही महानगरीय क्षेत्र के हिस्से हैं, जिसे ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के तहत प्रशासित किया जाता है. हालांकि पहचान का यह विभाजन आज भी बना हुआ है. हैदराबाद अपनी ऐतिहासिक विरासत और पुराने शहर के चरित्र के लिए जाना जाता है.

वहीं सिकंदराबाद आज भी एक प्रमुख सैन्य और रेलवे केंद्र बना हुआ है और इसकी एक अलग, अधिक औद्योगिक पहचान है. सिकंदराबाद को हैदराबाद का जुड़वां शहर कहने की मुख्य वजह उनका एक साथ विकसित होना है, लेकिन एक-दूसरे से पूरी तरह अलग शासन, संस्कृति और चरित्र होना भी है. यह रिश्ता एक शासक की राजधानी और एक सैन्य छावनी का था, जो समय के साथ चलकर आज के एकीकृत महानगर का हिस्सा बन गया, लेकिन अपनी विशिष्ट पहचान को कायम रखा.


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https://hindi.news18.com/news/andhra-pradesh/hyderabad-story-and-history-of-hyderabad-and-secundrabad-local18-ws-kl-9740552.html

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