सोनाली भाटी /जालोर:- आधुनिकता के दौर में एक तरफ जहां लोग फसलों की कटाई के लिए तरह-तरह की मशीनों का उपयोग करते नजर आते हैं. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में दशकों से लाह की परंपरा चली आ रही है. खराब मौसम के बीच खेतों में लहलहा रही गेहूं व अन्य फसल कटाई के लिए श्रमिक नहीं मिलने से किसानों को परेशान होना पड़ता है. वहीं राजस्थान में सालों से चली आ रही लाह की परंपरा में किसान एक-दूसरे का ना केवल सहारा बन रहे हैं, बल्कि आपसी सहयोग से रातों-रात खेतों में उगी गेहूं समेत अन्य फसलों की कटाई करते हैं.
भीनमाल क्षेत्र के पूनासा में 55 किसानों ने रात में 2.5 हैक्टयर (16 बीघा) क्षेत्र में उगी गेहूं की फसल की कटाई एक ही रात में पूरी कर दी. किसान विक्रमसिंह पूनासा के खेत में लाह की गई, जिसमें लाहिए एकत्र हुए. रात 8 बजे लाह (फसल कटाई) शुरु की गई और लगातार करीब 4 घंटे तक फसल कटाई की गई.
पश्चिमी राजस्थान में है यह परंपरा
मुख्य रूप से पश्चिमी राजस्थान में लाह की परंपरा है, जिसमें किसान एक-दूसरे का फसल कटाई में सहयोग करते हैं. परंपरा के तहत 100 की संख्या में किसान जुटते हैं. फसल कटाई शुरु करने से पहले किसानों में जोश भरने के लिए भरत गायन (परंपरा से जुड़ा पुराना गीत) होता है. लगातार मध्यरात्रि तक फसल कटाई के बाद विश्राम होता है.
आधी रात में होता है शाही भोज
देर रात को लाह करने वाले किसानों के समूह का विश्राम होता है. इन लाहियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया दाल-बाटी, लापसी-लहवे को इन्हें भोजन के लिए परोसा जाता है. भोजन करने के बाद लाहिए फिर से जोश के साथ खेत में फसल कटाई में जुट जाते हैं और अल सवेरे 5 बजे तक फसल कटाई करते हैं. अंधेरे में फसल कटाई के दौरान रोशनी की व्यवस्था भी की जाती है.
FIRST PUBLISHED : April 2, 2024, 16:07 IST
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/culture-farmers-carrying-on-the-tradition-of-lah-culture-know-rajasthan-tradition-8204088.html