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Folk Art: कभी गांव-गांव घूमकर भाट जाति के लोग कठपुतली नाटकों के ज़रिए लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश दिया करते थे. ये नाटक राजा-रानी की कथाओं, धार्मिक प्रसंगों और जनजागृति के मुद्दों पर आधारित होते थ…और पढ़ें
बागोर की हवेली में बनाया गया कठपुतली का संसार
कभी गांव-गांव घूमकर भाट जाति के लोग कठपुतली नाटकों के ज़रिए लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश दिया करते थे. ये नाटक राजा-रानी की कथाओं, धार्मिक प्रसंगों और जनजागृति के मुद्दों पर आधारित होते थे. हालांकि समय के साथ इनका प्रभाव कम हुआ, लेकिन बागोर की हवेली में बनाया गया कठपुतली का संसार आज भी इस कला को जीवित रखे हुए है.
यहां करीब 150 से अधिक रंग-बिरंगी व कलात्मक कठपुतलियां मौजूद हैं. इन कठपुतलियों को देखकर ऐसा लगता है जैसे अतीत का कोई दरबार जीवंत हो उठा हो. किसी में राजा-रानी दरबार में विराजमान हैं, तो कहीं दरबारी कलाकार प्रस्तुति दे रहे हैं. कई धार्मिक पात्रों को भी दर्शाया गया है, जिनमें महाराणा प्रताप जैसी ऐतिहासिक शख्सियतें भी सम्मिलित हैं. इन कठपुतलियों की डिजाइन इतनी खूबसूरत और बारीकी से की गई है कि हर कोई इन्हें देख मंत्रमुग्ध हो जाता है.
भारतीय लोककला की भव्यता को करते हैं महसूस
इस अनोखे संग्रहालय का संचालन भीखाराम भाट कर रहे हैं, जो स्वयं इस कला के संरक्षक हैं. उन्होंने बताया कि पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की सहायता से इस कठपुतली संसार की स्थापना की गई, जिससे यह विलुप्त होती लोक कला फिर से जीवित हो सके. यहां देसी ही नहीं, विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और इस परंपरा से रूबरू होकर भारतीय लोककला की भव्यता को महसूस करते हैं.
भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक अहम जरिया
बागोर की हवेली का यह कठपुतली संग्रहालय न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि यह राजस्थान की लोक कला और इतिहास को भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक अहम जरिया बन गया है. अगर आप भी इस विलक्षण कला से सजी दुनिया को देखना चाहते हैं, तो उदयपुर की यात्रा अवश्य करें.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/culture-a-unique-world-of-catapulates-in-udaipur-revives-the-dying-folk-art-of-rajasthan-local18-ws-kl-9231861.html