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Sankashti Chaturthi: धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढ़ांढ़ण ने बताया कि संकट चौथ व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने और सभी संकटों को दूर करने का एक पवित्र और शुभ अवसर है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में…और पढ़ें
संकट हरण चतुर्थी और तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है.
जयपुर. नए साल का पहला संकष्टी चतुर्थी यानी तिलकुटा चौथ व्रत 17 जनवरी को है. यह व्रत सुबह 4 बजकर 7 मिनट पर शुरू होगा और अगले 18 जनवरी को सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा. महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत विशेष माना जाता है. उस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर दिन में गणेशजी व चौथ माता की पूजा करती है, वहीं चौथ माता को तिल के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. इसके बाद चंद्रोदय के बाद पूजन कर व्रत खोला जाता है. इसे संकट हरण चतुर्थी और तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है.
इस दिन गणेश भगवान को मनाने से दूर होंगे सभी संकट
धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढ़ांढ़ण ने बताया कि संकट चौथ व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने और सभी संकटों को दूर करने का एक पवित्र और शुभ अवसर है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में संकट चतुर्थी का विशेष महत्व है. इस दिन माताएं अपनी संतान की सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं. यह व्रत गणेश भगवान को समर्पित है. यही कारण है कि इसे अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है. संकट माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन व्रत रखा जाता है.
ऐसे करें संकट पूजा
धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढ़ांढ़ण ने बताया कि भगवान गणेश को दूर्वा, तिल और गुड़ अर्पित करें. व्रत के दौरान तिल का विशेष महत्व है. इसे प्रसाद में जरूर शामिल करें. रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा को पूर्ण करें और गणेश चालीसा और संकटमोचन स्तोत्र का पाठ करें.
सुख-शांति और समृद्धि लाता है ये व्रत
धर्म विशेषज्ञ ढ़ांढ़ण ने बताया कि तिलकुटा चौथ के दिन चंद्र दर्शन और पूजा का विशेष महत्व है. महिलाएं रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करती हैं. संकट चौथ का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए किया जाता है. मान्यता है कि यह व्रत सभी कष्टों को दूर करता है और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाता है. इस दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डू, गुड़, मूंगफली और गन्ने का भोग लगाया जाता है.
ऐसे रखें व्रत
भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और पूजा सामग्री तैयार करें. गणेश जी को तिल, गुड़, गन्ना और लड्डू का भोग लगाएं. गणेश चालीसा और व्रत कथा का पाठ करें. रात में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें और व्रत पूर्ण करें. इस शुभ दिन पर तिल और गुड़ का विशेष महत्व है. तिल का उपयोग गणेश भगवान के भोग में किया जाता है. वहीं, इसे दान करना भी पुण्य फल देता है. व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिनभर निराहार रहा जाता है और सिर्फ फलाहार ग्रहण कर सकते हैं. गणेश पूजा करने के बाद जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करना बेहद शुभ माना जाता है.
Jaipur,Rajasthan
January 16, 2025, 18:59 IST
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