Friday, March 28, 2025
33.7 C
Surat

Sanyas Yog: प्रयागराज महाकुंभ में सैकड़ों ने सांसारिक जीवन छोड़ सन्यास लिया, जानें कौन सा योग बनाता है सन्यासी?


Last Updated:

Sanyas Yog : प्रयागराज महाकुंभ में सैकड़ो की तादात में पुरुष और स्त्रियों ने सन्यास से नव जीवन की शुरुआत की, प्रयागराज महाकुंभ में सैकड़ों ने सांसारिक जीवन छोड़कर सन्यास लिया, जानें जन्म कुंडली में शनि की विशेष…और पढ़ें

महाकुंभ में सैकड़ों ने छोड़ा सांसारिक जीवन, अपनाया सन्यास का मार्ग

हाइलाइट्स

  • प्रयागराज महाकुंभ में सैकड़ों ने सन्यास लिया.
  • 144 साल बाद आयोजित महाकुंभ में सन्यास का मार्ग अपनाया.
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की स्थिति से वैराग्य.

Sanyas Yog : प्रयागराज महाकुंभ में सैकड़ो की तादात में पुरुष और स्त्रियों ने, नवयुवकों ने सांसारिक जीवन छोड़कर सन्यास लेने का फैसला किया. 144 साल बाद आयोजित इस महाकुंभ में सांसारिक और ग्रस्त जीवन को त्याग कर लोगों ने सन्यासी जीवन को गले लगाया है. कोई भी व्यक्ति ग्रस्त जीवन में सभी सुख सुविधाओं से पूर्ण होता है. फिर ऐसी क्या परिस्थितियां बनती हैं कि सब कुछ छोड़कर व्यक्ति एकांकी जीवन व्यतीत करने के लिए सन्यासी बन जाता है. सन्यासी बनने के पीछे कई कारण हो सकते हैं लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में शनि की कुछ विशेष स्थितियां व्यक्ति को वैराग्य जीवन की ओर आकर्षित करती हैं.आइये विस्तार से जानते हैं की जन्म कुंडली में ऐसी कौन सी योग होते हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति संयासी बन सकता है.

Mamta Kulkarni: ममता कुलकर्णी कैसे बनीं महामंडलेश्वर? क्यों कर दिया गया तुरंत निष्कासित! जानें सन्यास के नियम

कमजोर लग्न और शनि का सम्बन्ध : ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली में लग्न का बहुत अधिक महत्व होता है. लग्न के द्वारा ही व्यक्ति के जीवन और उसकी मानसिकता एवं व्यवहार का पता चलता है. कमजोर होती है तो जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कमजोर है और उसे पर शनि की दृष्टि पड़ जाती है तो ऐसा व्यक्ति वैराग्य की ओर आकर्षित हो जाता है. ऐसे जातक को सांसारिक जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है एवं साधु बनने पर उसे शांति की प्राप्ति होती है.

लग्न कमजोर कैसे होती है : किसी भी जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी अर्थात लग्नेश यदि 6, 8 और 12 भाव में उपस्थित होता है या उसके ऊपर किसी पापी ग्रहों की दृष्टि होती है अथवा लग्नेश स्वयं अपनी नीच राशि में उपस्थित हो. ऐसी स्थिति में लग्न को कमजोर माना जाता है.

Dakshinmukhi Hanuman: इस दिशा में रखें हनुमान जी के फोटो का मुंह, हर तरह की बुरी शक्तियों से होगी रक्षा

शनि और कमजोर लग्नेश का सम्बन्ध : प्रथम भाव का स्वामी अर्थात लगे यदि जन्म कुंडली पर कहीं पर भी बैठा हो और उसे पर शनि की दृष्टि पड़ रही है तब विभक्ति के अंदर वैराग्य की भावना जागृत होती है. एक समय की पश्चात ऐसा व्यक्ति एकांतवास की ओर चल पड़ता है.

यहां बैठा शनि बना देता है सन्यासी : जन्म कुंडली में नवे भाव को धर्म भाव भी कहा जाता है यदि इस भाव में शनि अकेला बैठा हो और किसी भी शुभ ग्रह की उसे पर दृष्टि ना हो तो ऐसा व्यक्ति संन्यास का रास्ता अपना लेता है. ऐसी परिस्थितियों में यदि व्यक्ति सन्यासी जीवन जीता है तो उसे बहुत प्रसिद्धि भी प्राप्त होती है.

Mole significance: महिलाओं के शरीर पर तिल का होता है अलग-अलग महत्व! जानें शरीर पर तिल के रहस्य का क्या है मतलब

चन्द्रमा और शनि का सम्बन्ध : जन्म कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में बैठा होता है यदि उसे राशि और चंद्रमा पर शनि की दृष्टि पड़ जाती है तो ऐसा व्यक्ति सांसारिक मोह माया को त्याग कर मानसिक शांति के लिए अध्यात्म की ओर आगे बढ़ जाता है.

homedharm

महाकुंभ में सैकड़ों ने छोड़ा सांसारिक जीवन, अपनाया सन्यास का मार्ग


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/dharm/hundreds-embrace-path-of-renunciation-leave-worldly-life-at-kumbh-mela-know-about-sanyas-yog-in-kundali-9004364.html

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img